
भारत में माल और सेवा कर (जीएसटी) चोरी के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए केंद्र और राज्य कर अधिकारियों ने दो महीने का विशेष अभियान शुरू किया है। वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी चोरी एक लाख करोड़ रुपये से अधिक होने की बात सामने आने पर अब फर्जी जीएसटी पंजीकरण की पहचान करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया गया है। जीएसटी में हेराफेरी करने वालों पर लगाम लगाने के लिए 16 मई से 15 जुलाई तक एक विशेष अखिल भारतीय अभियान शुरू किया गया है। इस अवधि के दौरान कर अधिकारी संदिग्ध और नकली जीएसटी पहचान संख्या (जीएसटीआईएन) का पता लगाने के लिए राज्य और केंद्रीय कर प्रशासन के अधिकारी आपसी तालमेल बिठकार काम करेंगे।
अकेले वित्त वर्ष 2022-23 में जीएसटी चोरी के लगभग 14,000 मामलों का पता चला, जिसमें लगभग 1.01 लाख करोड़ रुपये से अधिक टैक्स चोरी की गई। जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने इस दौरान 21,000 करोड़ रुपये की वसूली करने में कामयाबी हासिल की है। डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नए पंजीकरण के लिए आधार-आधारित प्रमाणीकरण और चूक करने वाले व्यवसायों के केंद्रीकृत निलंबन के माध्यम से जीएसटी चोरी पर अंकुश लगाने के सरकार की कोशिशें के बावजूद, जीएसटी फर्जीवाड़े से जुड़े मामलों की संख्या बढ़ रही है।