
नितिन गडकरी ने दी सलाह – ‘अगर शिवाजी की प्रतिमा स्टेनलेस स्टील से बनाई जाती तो वह नहीं गिरती’
मुंबई। महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के ढहने पर अभी भी सियासी बवाल मचा हुआ है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सलाह दी कि अगर प्रतिमा के निर्माण के लिए स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया गया होता तो वह नहीं गिरती।
क्या है मामला?
दरअसल, इसी 26 अगस्त को सिंधुदुर्ग के राजकोट किले में स्थापित की गई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा गिर गई थी। सिंधुदुर्ग जिले में चार दिसंबर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौसेना दिवस पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का अनावरण किया था। 35 फुट की इस प्रतिमा का अनावरण नौसेना दिवस समारोह के हिस्से के रूप में किया गया था। इस प्रतिमा के ढहने पर लगातार सियासी हंगामा जारी है।
तटीय इलाकों में जंग रोधी उत्पादों के इस्तेमाल पर जोर
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के निर्माण के लिए अगर स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया गया होता तो वह नहीं गिरती। गडकरी ने तटीय इलाकों में जंग रोधी उत्पादों के इस्तेमाल पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि वह पिछले तीन साल से इस बात पर जोर दे रहे हैं कि समुद्र के पास बने पुलों के निर्माण में स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल होना चाहिए। महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मंत्री के रूप में अपने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह मुंबई में 55 फ्लाईओवर बना रहे थे और एक व्यक्ति ने उन्हें बेवकूफ बनाया।
उन्होंने आगे बताया, ‘शख्स ने लोहे की छड़ों पर कुछ पाउडर कोटिंग लगाई और कहा कि ये जंगरोधी हैं। लेकिन उनमें जंग लग गई। मेरा मानना है कि स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल समुद्र से 30 किलोमीटर के भीतर ही किया जाना चाहिए।’
प्रतिमा किस वजह से गिरी?
सिंधुदुर्ग में पिछले सप्ताह भारी बारिश और तेज हवाएं चली थीं। घटना के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने तेज हवाओं के कारण प्रतिमा गिरने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘यह प्रतिमा नौसेना द्वारा स्थापित की गई थी। उन्होंने इसे डिजाइन भी किया था। लेकिन लगभग 45 किमी प्रति घंटा की तेज हवाओं के कारण यह गिर गई और क्षतिग्रस्त हो गई।’ इसके अलावा भारतीय नौसेना ने एक बयान में कहा कि प्रतिमा को असाधारण मौसम की स्थिति के कारण दुर्भाग्यपूर्ण क्षति हुई है।
संरचनात्मक इंजीनियर अमरेश कुमार ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, ‘प्रतिमा मामले में, भार या जलवायु परिस्थितियों जैसे बाहरी कारणों से समस्या नहीं हुई है। बल्कि, नट और बोल्ट में जंग के कारण, जैसा कि पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट में जिक्र किया गया है, प्रतिमा के अंदर फ्रेम बनाने वाले स्टील की प्लेटों में खराबी आ सकती है।’
इस बीच, महाराष्ट्र कला निदेशालय के निदेशक राजीव मिश्रा ने कहा कि 35 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने की नहीं बल्कि 6 फीट ऊंची प्रतिमा बनाने की अनुमति दी गई थी। निदेशालय को इसकी वास्तविक ऊंचाई और इसके निर्माण में स्टील प्लेट के इस्तेमाल के बारे में जानकारी नहीं थी।
घटना के बाद सरकार ने क्या कदम उठाया?
महाराष्ट्र सरकार ने प्रतिमा गिरने के कारणों की जांच के लिए इंजीनियरों, आईआईटी विशेषज्ञों और नौसेना के अधिकारियों की एक तकनीकी समिति गठित की है। सिंधुदुर्ग के पुलिस अधीक्षक सौरभ अग्रवाल ने फोरेंसिक जांच के लिए धातु के नमूने पहले ही ले लिए हैं। उधर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर संरचनात्मक सलाहकार चेतन पाटिल और कलाकार जयदीप आप्टे को कोल्हापुर से गिरफ्तार किया है।