भूकंप से हिली उत्तरकाशी की धरती, घरों से बाहर आए लोग

भारत-म्यांमार सीमा के पास देर रात जोरदार भूकंप
देहरादून। उत्तरकाशी और आसपास के कई इलाकों में शुक्रवार को दो बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। दहशत के चलते लोग घरों से बाहर निकल आए। लोगों में भय का माहौल है। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से सभी तहसीलों से जानकारी जुटाई जा रही है। बताया जा रहा है कि पहले सुबह करीब 7 बजकर 42 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस हुए। भूकंप के कारण वरुणावत पर्वत के भूस्खलन जोन से मलबा और पत्थर गिरे। इसके बाद दोबारा 8 बजकर 19 मिनट पर फिर झटके महसूस हुए, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 3.5 रही। इसके बाद जनपद मुख्यालय में 10:59 बजे तीसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए।
भूकंप का केंद्र जमीन से पांच किमी नीचे उत्तरकाशी में था। जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने अधिकारियों को जिले की सभी तहसील क्षेत्रों में भूकंप के असर के बारे में सूचना जुटाने के निर्देश दिए हैं। फिलहाल जिले में कहीं से भी जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। वहीं कहा जा रहा है कि वरुणावत पर्वत इतना कमजोर हो रखा गया है कि 3 तीव्रता के भूकंप पर ही पत्थर गिर रहे हैं।
भारत-म्यांमार सीमा के पास जोरदार भूकंप से कांपी धरती
भारत और म्यांमार की सीमा के पास आधी रात को भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए गए। भूकंप के झटकों से धरती एक बार फिर हिल गई। ये भूकंप भारत की सीमा से थोड़ी ही दूर म्यांमार में आया। इसका असर भारत के भी कई राज्यों में भी देखने को मिला। वहीं भूकंप की वजह से आधी रात को लोग घरों से बाहर निकल गए। म्यांमार में देर रात भूकंप के जोरदार झटकों से लोगों में अफरातफरी मच गई। हालांकि भूकंप से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है। म्यांमार में आए इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 4.8 दर्ज की गई।
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने कहा कि म्यांमार में रिक्टर पैमाने पर 4.8 तीव्रता का भूकंप आया। म्यांमार में 4.8 तीव्रता का भूकंप 12:53 बजे (आईएसटी) 106 किलोमीटर की गहराई पर आया। इसे अक्षांश 24.68 एन और देशांतर 94.87 ई पर दर्ज किया गया। हालांकि भूकंप से जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं है। म्यांमार में इस हफ्ते की शुरुआत में भी 5.1 की तीव्रता वाला भूकंप आया था।
भारत में क्या हैं भूकंप के जोन
भूगर्भ विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के कुल भूभाग के लगभग 59 फीसदी हिस्से को भूकंप के लिहाज से संवेदनशील माना जाता है। वैज्ञानिकों ने भारत में भूकंप क्षेत्र को जोन-2, जोन-3, जोन-4 व जोन-5 यानी 4 भागों में विभाजित किया है। जोन-5 के इलाकों को सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है, जबकि जोन-2 कम संवेदनशील माना जाता है। हमारे देश की राजधानी दिल्ली भूकंप के जोन-4 में आती है। यहां 7 से अधिक तीव्रता के भी भूकंप आ सकते हैं जिससे बड़ी तबाही हो सकती है।
क्यों आता है भूकंप?
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
जानें क्या है भूंकप के केंद्र और तीव्रता का मतलब? भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।