कांग्रेस के पूर्व विधायक मिंज का विवादित पोस्ट, कहा- भारत की हार सुनिश्चित

प्रतिक्रिया में कहा- उनका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया
चंद्राकर बोले कांग्रेस का हश्र ऐसी नीतिविहीनता के कारण
रायपुर। पहलगाम आतंकी हमले पर कांग्रेस के पूर्व विधायक यूडी मिंज ने सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट किया है। मिंज ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक युद्ध की संभावना को लेकर एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि भारत युद्ध करता है, तो भारत की हार सुनिश्चित है। यूडी मिंज का यह विवादित पोस्ट तूल पकड़ लिया है, जिसपर लोग पलटवार कर रहे हैं। वहीं पूर्व विधायक यूडी मिंज ने विवादित पोस्ट मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। कहा कि, उनका फेसबुक अकाउंट हैक हो गया है।
वहीं इस मामले में बीजेपी वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने कहा- यूडी मिंज ने भारत के संभावित हार की घोषणा की है। परंपरागत बहाने से बोल दिया कि अकाउंट हैक हो गया। राष्ट्रीय विषय में भारत के खिलाफ टिप्पणी करना अच्छा नहीं लगती है। प्रधानमंत्री और सेना के अध्यक्ष इस विषय को देख रहे हैं। कांग्रेस का हश्र ऐसी नीतिविहीनता के कारण है। चंद्राकर ने आगे कहा- पेपरों में छपने के लिए कांग्रेस शॉर्टकट तरीके अपनाती है।
यूडी मिंज का फेसबुक पोस्ट :
यूडी मिंज ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “जो आज पाकिस्तान के विरुद्ध निर्णायक युद्ध की बात कर रहे हैं, वे जान लें कि इस बार पाकिस्तान के साथ-साथ भारत को चीन से भी लडऩा होगा और ऐसी स्थिति में भारत की हार सुनिश्चित है. पीओके के महत्वपूर्ण हिस्से में चीन ने अंधाधुंध निवेश किया है. पुराने सिल्क रोड को खोल दिया गया है. यही हाल बलूचिस्तान का भी है. ग्वादर पोर्ट को चीन ने डेवलप किया है और उसकी सेना सुरक्षा कर्मियों के नाम पर वहां पर तैनात है. बलूच विद्रोहियों की औकात नहीं है कि वे चीनी सैनिकों का मुक़ाबला कर सके. यही दोनों जगह हैं जहां से पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी ऑपरेट करते हैं. एटबबाबाद भी इन्हीं जगहों में है, जहां से लश्कर ए तैयबा का नेटवर्क काम करता है. अब अगर भारत इन स्थानों पर सीधे हमला करे तो चीन स्वत: इस युद्ध में पाकिस्तान के साथ खड़ा हो जाएगा. नतीजा सोच लीजिए. इसलिए पुलवामा पार्ट 2 के बाद बालाकोट कौवा मार स्ट्राइक पार्ट 2 के लिए तैयार रहिए. जहां तक बात इकोनॉमी की है तो भारत अगर पूरी तरह से युद्ध में जाता है तो देश की अस्सी करोड़ आबादी को राशन देने के पैसे छ: महीने में ही ख़त्म हो जाएंगे. मुद्रास्फीति दर वैसे ही डबल डिजिट में है, कहाँ तक जाएगी ये पता नहीं है. डॉलर के अलावे भी अन्य वैश्विक मुद्राओं के मुक़ाबले रुपया 2.5 प्रतिशत कमजोर हुआ है. अमरीकी टैरिफ़ के चलते निर्यात न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. देश में बेरोजग़ारी पिछले पैंतालिस साल में सबसे ज़्यादा है. महंगाई बेलगाम हो गई है. ऐसी स्थिति में कोई भी युद्ध आत्मघाती होगा और दोनों देशों की मेहनतकश जनता पर असहनीय बोझ पड़ेगा. यह समय भारत, पाकिस्तान और चीन के लीडरशिप को साथ बैठ कर आतंकवाद की समस्या का निदान ढूंढने का है, किसी भी प्रकार का पॉलिटिकल एक्सपेडिएन्सी में जाने का नहीं. वैसे जो भारतीय युद्ध के समर्थन में हैं, उन सबको अग्नीवीर बना कर बॉर्डर पर भेज देना चाहिए.