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भारतीय वायुसेना के लिए सिर्फ 23 मिनट काफी थे, पाकिस्तान की सरजमीं पर पल रहे आतंक के अजगर को कुचलने : राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुजरात के भुज वायु सेना स्टेशन का दौरा किया

भुज। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को गुजरात के भुज वायु सेना स्टेशन का दौरा किया। इस एयरबेस को पिछले सप्ताह पाकिस्तानी सेना की ओर से निशाना बनाने की कोशिश की गई थी। हालांकि, उनके नापाक मंसूबों पर भारतीय सशस्त्र बलों ने पानी फेर दिया था। राजनाथ की यह यात्रा जम्मू-कश्मीर की यात्रा, नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के एक दिन बाद हुई।

राजनाथ सिंह ने कहा कि पहलगाम में मारे गए सभी निर्दोष नागरिकों को और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए हमारे सैनिकों को नमन करता हूं। मैं हमारे घायल सैनिकों के साहस को भी नमन करता हूं और ईश्वर से यह प्रार्थना करता हूं कि वो जल्द से जल्द स्वस्थ हों। हमारे देश की मजबूत भुजा भुज में आप सबके बीच आकर मुझे बड़ा गर्व हो रहा है। यह भुज, 1965 में पाकिस्तान के खिलाफ हमारी जीत का साक्षी रहा है। यह भुज 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ हमारी जीत का साक्षी रहा है। आज एक बार फिर यह भुज पाकिस्तान के खिलाफ हमारी जीत का साक्षी बना है। इसकी मिट्टी में देशभक्ति की खुशबू है और यहां के जवानों में भारत की सुरक्षा का अडिग संकल्प। मैं आप सभी वायु योद्धाओं समेत, सशस्त्र बलों और बीएसएफ के सभी जांबाजों को सलाम करता हूं।

उन्होंने कहा, ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आपने जो कुछ किया, उसने पूरे देश को गर्व से भर दिया है। भारतीय वायुसेना के लिए सिर्फ 23 मिनट काफी थे, पाकिस्तान की सरजमीं पर पल रहे आतंक के अजगर को कुचलने के लिए। मैं यह कहूं तो गलत नहीं होगा, कि जितनी देर में लोग नाश्ता-पानी निपटाते हैं, उतनी देर में आपने दुश्मनों का निपटारा कर दिया। आपने दुश्मन की सीमा के भीतर जाकर जो मिसाइलें गिराईं, उसकी गूंज पूरी दुनिया ने सुनी। और वास्तव में वह गूंज, सिर्फ मिसाइलों की ही नहीं थी, वह गूंज आपके शौर्य और भारत के पराक्रम की थी।

राजनाथ ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने जो प्रभावी भूमिका निभाई है, उसकी सराहना इस देश में ही नहीं दूसरे देशों में भी हो रही है। आपने इस ऑपरेशन में न केवल दुश्मन को परास्त किया है, बल्कि उन्हें तबाह करने में भी कामयाबी हासिल की है। आतंकवाद के खिलाफ चलाए गए इस अभियान को हमारी वायु सेना ने आगे बढ़ाया। हमारी एयरफोर्स एक ऐसी ‘स्काइफोर्स’ है, जिसने अपने शौर्य, पराक्रम और प्रताप से आसमान की नई और बुलंद ऊंचाइयों को छू लिया है।

राजनाथ ने कहा कि अब आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई, केवल सुरक्षा का विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय रक्षा सिद्धांत का हिस्सा बन चुकी है। हम आपके साथ मिलकर इस हाइब्रिड और प्रॉक्सी युद्ध को जड़ से समाप्त करेंगे। हम, हमारे आराध्य श्रीराम के उस मार्ग का अनुसरण करते हुए आगे बढ़ रहे हैं, जिसमें वह आसुरी शक्तियों के विनाश का प्रण लेते हैं। ‘निसिचर हीन करउं महि, भुज उठाइ पन कीन्ह।’ अर्थात जिस प्रकार भगवान राम ने अपनी भुजाओं को उठाकर, धरती को राक्षस विहीन करने का प्रण लिया था। ठीक उसी प्रकार, प्रभु श्री राम के आदर्शों का पालन करते हुए हमने भी आतंकवाद को, जड़ से खत्म करने का संकल्प लिया है। एक और बात मैं यहां साफ कहना चाहूंगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी खत्म नहीं हुआ है। जो कुछ भी हुआ, वह सिर्फ एक ट्रेलर मात्र था। जब सही समय आएगा, तो हम पूरी पिक्चर भी दिखाएंगे।

उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान इंडियन एयरफोर्स ने केवल पराक्रम ही नहीं दिखाया है, बल्कि पूरी दुनिया के सामने प्रमाण भी दिया है। प्रमाण इस बात का कि अब भारत की युद्ध नीति और तकनीकी दोनों बदल चुकी है। आपने नए भारत का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाया है। यह संदेश है कि अब भारत केवल विदेशों से इंपोर्ट किए गए हथियारों और प्लेटफॉर्म्स पर निर्भर नहीं है,बल्कि भारत में बने अस्त्र और शस्त्र भी हमारी सैन्य शक्ति का हिस्सा बन चुके हैं। अब भारत में बने और भारतीय हाथों से बने हथियार भी अचूक और अभेद हैं, यह पूरे विश्व ने देख लिया है।

उन्होंने कहा कि आपने पाकिस्तान में मौजूद आतंकवाद के इंफ्रास्ट्रक्चर के खिलाफ प्रभावी कारवाई की मगर पाकिस्तान फिर से इस कोशिश में लग गया है कि ध्वस्त हुए आतंकी ढांचे को फिर से खड़ा किया जाए। वहां की सरकार, पाकिस्तानी आम नागरिकों से लिया गया टैक्स, ‘जैश ए मुहम्मद’ जैसे आतंकी संगठन के आका मसूद अजहर को करीब चौदह करोड़ रुपए देने में खर्च करेगी। जबकि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी घोषित है। इतना ही नहीं, ‘लश्कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्मद’ के मुरीदके और बहावलपुर स्थित आतंकी ढांचे को फिर से खड़ा करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने आर्थिक सहायता देने के एलान किया है। निश्चित रूप से आईएमएफ से आने वाले एक बिलियन डॉलर के बड़े हिस्से को आतंकी ढांचे को फंड करने में इस्तेमाल होगा। क्या यह आईएमएफ द्वारा जो कि एक अतंरराष्ट्रीय संगठन द्वारा परोक्ष फंडिंग नहीं माना जाएगा?

Author Desk

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