अंतर्राष्ट्रीय

यह युद्ध का युग नहीं है, समस्याओं का समाधान बातचीत और कूटनीति से होना चाहिए : पीएम मोदी

पीएम मोदी को मिला घाना का सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना

अकरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा ने अपने देश के सर्वोच्चे पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से सम्मानित किया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री को मिलने वाले अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों की संख्या 2 दर्जन से अधिक हो चुकी है। इस बड़े सम्मान से नवाजे जाने के बाद पीएम मोदी ने घाना का आभार व्यक्त करते हुए इसे देश के सवा सौ करोड़ वासियों को समर्पित किया है। इस दौरान भारत और घाना में द्विपक्षीय वार्ता के बाद 4 अहम समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए। पीएम मोदी और राष्ट्रपति महामा ने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों को लेकर भी गंभीर चिंता जाहिर की। साथ ही इसके समाधान के लिए आपसी संवाद तथा कूटनीति का रास्ता अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक कहा, “यह युद्ध का युग नहीं है, समस्याओं का समाधान बातचीत और कूटनीति से होना चाहिए।”

घाना का सर्वोच्च सम्मान हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, “मैं घाना की जनता और सरकार का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने मुझे ‘ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ के अधिकारी की उपाधि से सम्मानित किया। यह सम्मान हमारे युवाओं के उज्ज्वल भविष्य, उनकी आकांक्षाओं, हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और भारत व घाना के बीच ऐतिहासिक संबंधों को समर्पित है। यह सम्मान भारत और घाना की मित्रता को और सशक्त बनाने के लिए लगातार प्रयास करते रहने की एक जि़म्मेदारी भी है। भारत हमेशा घाना की जनता के साथ खड़ा रहेगा और एक विश्वसनीय मित्र व विकास साझेदार के रूप में योगदान करता रहेगा।”

घाना के राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति के साथ की द्विपक्षीय बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घाना के राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा और उपराष्ट्रपति प्रोफेसर नाना जेन ओपोकु-अग्येमांग के साथ बुधवार को राजधानी अकरा में प्रतिनिधिमंडल स्तर की एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक के बाद दोनों देशों ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को ‘व्यापक साझेदारी’ के स्तर तक विस्तार देने का निर्णय लिया। प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा उनके पांच देशों के दौरे का पहला चरण है।

 

5 वर्षों में दोगुना होगा व्यापार
वार्ता के उपरांत एक संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और घाना ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत केवल घाना की विकास यात्रा में एक साझेदार नहीं है, बल्कि उसका सह-यात्री भी है। दोनों देशों ने संस्कृति और पारंपरिक चिकित्सा सहित विभिन्न क्षेत्रों में चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इन समझौतों के माध्यम से परस्पर सहयोग को और अधिक मजबूती देने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।

राष्ट्रपति महामा की उपस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमने द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक साझेदारी का दर्जा देने का फैसला किया है।” आतंकवाद के मुद्दे पर भी दोनों नेताओं ने साझा चिंता जताई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हम दोनों सहमत हैं कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और इस चुनौती से निपटने के लिए आपसी सहयोग को और मजबूत किया जाएगा।” उन्होंने भारत की आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में घाना के समर्थन के लिए आभार भी व्यक्त किया।

भारत-घाना के बीच 4 महत्वपूर्ण समझौते

भारत और घाना ने द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के उद्देश्य से चार महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इसमें सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, पारंपरिक चिकित्सा में सहयोग, मानकीकरण और प्रमाणन सहयोग, संयुक्त आयोग की स्थापना शामिल है।

 

घाना ने भारत से रक्षा उपकरणों की खरीददारी की इच्छा जाहिर की

पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर किए जाने के बाद भारत के रक्षा उपकरणों के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए उसकी मांग पूरे विश्व में बढ़ गई है। घाना भी भारतीय हथियारों का दीवाना हो गया है। घाना ने भारत से रक्षा उपकरणों की खरीददारी की इच्छा जाहिर की है। भारत के विदेश मंत्रालय के आर्थिक संबंध विभाग के सचिव डम्मू रवि ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने को लेकर विस्तृत बातचीत हुई। इस दौरान घाना ने भारत से रक्षा उपकरण, प्रशिक्षण और रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति में “स्पष्ट रुचि” दिखाई। एक प्रेस वार्ता में रवि ने कहा, “तीसरा प्रमुख क्षेत्र रक्षा सहयोग का है। घाना को विशेष रूप से उत्तरी क्षेत्र, साहेल क्षेत्र से उभरते आतंकवाद और समुद्री लूटपाट को लेकर सुरक्षा संबंधी चिंताएं हैं। इसलिए घाना ने भारत से उपकरणों, सुरक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण और रक्षा प्रणालियों की आपूर्ति में स्पष्ट रुचि दिखाई है। भारत अब रक्षा निर्यात में एक अग्रणी देश बन चुका है।”

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