यूरिया की कालाबाजारी जोरो पर, किसान बेबस और लाचार हुए – इंद्र साव

यूरिया की कालाबाजारी जोरो पर, किसान बेबस और लाचार हुए – इंद्र साव
बलौदाबाजार ( प्रखर )। क्षेत्र के किसानों को सरकारी सोसायटी में अब यूरिया खाद के लिए मारा मारी करनी पड़ रही है,जिन किसानों का हितैषी बन उनका दंभ भरने वाली सरकार किसानों को यूरिया उपलब्ध नहीं करा पा रही है आज क्षेत्र के किसानों को मजबूरन निजी दुकानदारों से महंगे दामों पर यूरिया लेने मजबूर होना पड़ रहा है,उक्त आरोप क्षेत्र के विधायक इंद्र साव ने लगाया है।
विधायक इंद्र साव ने कहा कि जब डी ए पी खाद की जरूरत थी तब उनको डी ए पी खाद सरकार नहीं उपलब्ध करा पाई और अब जब यूरिया की किसानों की सख्त जरूरत है ऐसे में सरकारी सोसायटियों से यूरिया खाद गायब हो गया है।किसानों के नाम पर वोट मांगने वाली भाजपा सरकार अपने केंद्रीय सरकार से पर्याप्त मात्रा में यूरिया नहीं मांग कर किसानों को मजबूरन निजी विक्रेताओं के यहां जाने मजबूर किया जा रहा है और आज अंचल के किसानो की हालत ये हो गई है कि उन्हें 266 रुपए का यूरिया 800 रुपए से ज्यादा में लेने मजबूर होना पड़ रहा है। अब ऐसा लगाने लगा है कि जरूरत का सहारा बने यूरिया खाद पर अब माफियाओं ने कब्जा जमा लिया है। यूरिया नहीं मिलने से.” किसान हताश और परेशान हैं। मजबूरी में वे निजी दुकानों से दोगुने-तिगुने दाम पर खाद खरीदने को विवश हो रहे हैं। किसान मजबूर होकर कालाबाजारी करने वालों की जेब भर रहे हैं जिला प्रशासन ने खाद की कालाबाजारी रोकने के आदेश जरूर जारी किए हैं, लेकिन हकीकत यह है कि अब तक किसी भी निजी विक्रेता पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। नतीजा यह है कि माफियाओं के हौसले बुलंद हैं और किसान दोहरी मार झेल रहे है।
विधायक इंद्र साव ने जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों को सत्ता का संरक्षण का आरोप लगाते हुए आगे कहा कि खाद नहीं मिलने से फसलों की वृद्धि रुकने लगी है, खरीफके उत्पादन का संकट उत्पन्न हो गया है लेकिन यह सरकार अब तक सोई हुई है। सहकारी सोसाइटियों में यूरिया का पर्याप्त भंडारण नहीं किया गया है। भाजपा सरकार ने जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों को खुली छूट दे रखी है। कर्ज लेकर किसानी करने वाले किसानों को अब अपनी मेहनत और लागत की चिंता सता रही है।विधायक इंद्र साव ने किसानों के हित में उनकी मांग के अनुरूप यूरिया खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने की अपील की है।
बलौदा बाजार से ब्यूरो चीफ राजेश्वर गिरी की रिपोर्ट।