छत्तीसगढ़

बैंक में नामांकन से उत्तराधिकार का अधिकार नहीं मिलता, नामिनी सिर्फ राशि का अभिरक्षक

बिलासपुर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि, बैंक में नामांकन से उत्तराधिकार का अधिकार नहीं मिलता, नामिनी सिर्फ राशि का अभिरक्षक होता है, मालिक नहीं। इसके साथ ही 15 लाख की रकम पर चल रहे ससुर-दामाद के विवाद का अंत हो गया है। बैंक ऑफ इंडिया, मुंगेली शाखा में स्वास्थ्य कार्यकर्ता रंजनादेवी प्रधान का 15 लाख रुपए जमा था। उनकी मौत के बाद रकम पर दामाद राहुल ध्रुव और ससुर लल्लाराम दोनों ने दावा किया। ट्रायल कोर्ट ने नामांकन देखकर राशि दामाद को देने का आदेश दिया था, लेकिन अपील में जिला न्यायालय ने फैसला पलटते हुए कहा कि, हिंदू सक्सेशन एक्ट के तहत पति पक्ष के वारिसों को पहला अधिकार होता है, और लल्लाराम ससुर होने के नाते निकट संबंधी हैं।

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि, नामांकन से व्यक्ति का सि फ ‘कस्टोडियन’ का दर्जा बनता है, इससे उत्तराधिकार का अधिकार नहीं मिलता। यह कानून बार-बार स्पष्ट किया जा चुका है। इसके साथ ही जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद ने अपीलीय अदालत का आदेश सही मानते हुए पुनरीक्षण याचिका को खारिज कर दिया, इसके साथ ही 15 लाख की राशि पर लल्लाराम का अधिकार पक्का हो गया है।

Author Desk

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