सौ रोगों की एक दवा, सुबह – सुबह की शुद्ध हवा : साध्वी शुभंकरा श्रीजी

रायपुर। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में गुरुवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने कहा कि अब हमें जागना है। आध्यात्मिक दृष्टि से तो हम वैसे जागते ही रहते हैं पर व्यवहारिक जीवन में हम रोज सुबह नींद से जागते हैं। चातुर्मास के इन 5 महीनों में हमें जागने का अभ्यास करना होगा ताकि यहां 5 से 25 हो सके। एक वाक्या है 100 रोगों की एक दवा सुबह-सुबह की शुद्ध हवा। हम रोज सुबह मॉर्निंग वॉक करने जाते है क्योंकि हमारी सेहत अच्छी बनी रहे। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में हर दिन सुबह 8.45 बजे चातुर्मासिक प्रवचन माला का वाचन किया जा रहा है, जिसमें हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु लाभ ले रहे हैं।
साध्वीजी कहती है कि आत्मा, अनंत शक्तियों की मालिक स्वयं है, किन्तु जब मनुष्य का पुण्य साथ न दे रहा हो, तो तब उसे विकास का मार्ग ही दिखाई नहीं पड़ता। उसे स्वयं की शक्तियों का भी भान नहीं रह जाता। जब अशुभ का उदय चल रहा हो तो उसकी बुद्धि भी सही दिशा में चलती नहीं है। बने बनाए काम भी बिगड़ते चले जाते हैं। ऐसे समय में सद्गुरू का सानिध्य मिल जाए, वीतराग वाणी के माध्यम से दिशानिर्देशन मिल जाए, तो व्यक्ति को उसके सर्वांगीण विकास की राह अवश्य मिलती है। जो कर्म सिद्धांत को समझता है, वह चाहे कितनी बड़ी विपत्ति या प्रतिकूलता क्यों न हो, मन में कोई विकल्प लाए बिना केवल अपने कर्तव्य का निर्वहन करता चला जाता है। उस व्यक्ति के जीवन से विपत्तियां सरलता से निकल जाती हैं और वह अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर हो जाता है।