पर्युषण महापर्व आज होगा प्रारंभ, पहले दिन होगी संगीतमयी संध्या

रायपुर। नवकार जपेश्वरी परम पूज्य शुभंकरा श्रीजी म.सा. आदि ठाणा 4 की पावन निश्रा में एमजी रोड स्थित जैन दादाबाडी में जप-तप, नवकार दरबार व दादा गुरूदेव इकतीसा बड़े ही हर्षोल्लास से चल रहा है। साथ ही प्रतिदिन स्वाध्याय, प्रवचन, तप-आराधना के बाद रात्रि 8.15 बजे से 9.15 बजे तक दादा गुरूदेव की इकतीसा का जाप चल रहा है। वहीं, रात्रि में ड्रॉ के माध्यम से श्रावक-श्राविकाओं को पुरस्कृत किया जा रहा है। पर्यूषण पर्व के अवसर पर दादाबाड़ी को विशेष रूप से सजाया गया है, जिसके दर्शनार्थ मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
पर्युषण महापर्व की शुरूआत 13 अगस्त से हो रही है और महापर्व के पहले ही दिन रविवार को रात्रि 8 बजे से 9 बजे तक इकतीसा के पश्चात राजनांदगांव के प्रसिद्ध गुरूभक्त विकास बाफना की संगीतमयी प्रस्तुति होगी। संयोजक नरेश बुरड़ और सह संयोजक अमित मुणोत ने बताया कि इस संगीतमयी संध्या के लाभार्थी श्री महावीर ज्वेलर्स है। साथ ही पर्यूषण पर्व के पहले आठ दिनों में नए-नए कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।
घर में बड़े हॉल की जगह मंदिर बनवाइए, किसी आयोजन के लिए आपको होटल नहीं जाना पड़ेगा और घर का माहौल भी भक्तिमय हो जाएगा: साध्वी शुभंकरा श्रीजी
एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने कहा कि आपको खाने में पसंद-नापसंद नहीं करना है, जो मिले वह खाना है। आज आप खाना खाने में नखरा दिखाओगे तो शरीर भी आपको अपने नखरे दिखाना चालू कर देगा। जीवन एक बार मिला है हमें इसे सार्थक बनाना है। अगर विद्यार्थी परीक्षा में फेल हो जाए तो उसका एक साल खराब हो जाता है लेकिन आप अपने जीवन की परीक्षा में फेल हो गए तो यह जीवन आपको फिर दोबारा नहीं मिलेगा। आज हमारे परिवार में 90 से 100 साल के बुजुर्ग भी हैं। लोग उन्हें देखकर कहते हैं कि इन्होंने तो असली घी काजू किशमिश बादाम खाया है इसीलिए वह बहुत मजबूत है। हम सभी बुजुर्गों को देखकर ऐसा कहते हैं पर कभी आपने सोचा है कि आपको किसने मना किया है, आप भी पुराना घी खाइए, काजू-किशमिश खाइए। आप भी पौष्टिक भोजन खाइए, लेकिन आपको डिश चाहिए, आपके नखरे है कि मुझे यह नहीं खाना, वह नहीं खाना है। भोजन में आप विकल्प चुन रहे हैं तो आप कर्म बांध रहे हैं। अपने पूर्वजों से आप अपनी तुलना करोगे तो आपको यह अंतर समझ में आ जाएगा कि उनके खाने पीने और आपके खाने पीने में कितना फर्क है। आप उतनी मेहनत भी नहीं कर रहे हो जितनी कि आपके दादा-परदादाओं ने की है।
साध्वीजी कहती है कि आज हम इतने मंदिर और इतने सारे प्रतिमाओं को देखते हैं और सोचते हैं कि भगवान के दर्शन करने के लिए हमें इतने सारे मंदिरों की क्या जरूरत है, सभी एक मंदिर में पूजा कर सकते हैं। इसके पीछे एक कारण है और आपको भी अपने जीवन में एक प्रतिमा की स्थापना जरूर करनी चाहिए। बाहर में अगर आप बड़े पैमाने पर ना कर पाए तो घर पर ही आपको मंदिर बनाकर भगवान की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। अगर आज आपने मंदिर स्थापित कर दिया तो आपकी आने वाली कई पीढ़ियां इसी मंदिर में आकर पूजन करेगी और साथ ही आपको भी याद रखेगी। यह आपके संपत्ति के सदुपयोग का एक बेहतरीन उदाहरण होगा। जबकि आज तो लोग पूर्वजों की संपत्ति नहीं मिलने पर उन्हें बहुत कोसते हैं, संपत्ति मिले और खत्म हो जाए तो भी लोग अपने पूर्वजों को भूल जाते हैं। मगर आज आप अपने घर में एक मंदिर बनवा लें तो पीढ़ी दर पीढ़ी आपको याद रखा जाएगा आपका स्मरण करने आपके नाती पोते आपके घर जरूर आएंगे।
साध्वी जी कहती है कि आज इतने बड़े-बड़े घर बनवाते हैं, महंगे फर्नीचर लगवाते हैं कि लोग दूर-दूर से उसे देखने आते हैं। आप घर में एक मंदिर बनवाएंगे तो भी लोग उसे मंदिर को देखने आएंगे और घर में हर मौके पर भक्ति भाव का माहौल बना रहेगा। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप लोगों को अपना घर दिखाना चाहते हैं या भक्ति भाव का माहौल देना चाहते हैं। घर में आप मंदिर बनवाएंगे तो आपको किसी आयोजन के लिए किसी पार्टी हॉल या होटल में नहीं जाना पड़ेगा, सभी कार्यक्रम घर में होंगे और भक्तिमय माहौल बनेगा। आपको जीवन में ऐसे साधन तैयार करने चाहिए, जो आपके भव भ्रमण को कम कर सकें। आज घर में आपने 4-4 अलमारी केवल कपड़े रखने के लिए बना रखे हैं, इसमें ग्रंथ रखने की जगह नहीं है। आपको एक अलमारी ग्रंथ रखने के लिए बनवाने चाहिए, जिसमें आप अपने धार्मिक पुस्तकों को रख सके ताकि आपकी पीढ़ी इन्हें देख कर कुछ सीख सकें।
मनोहरमय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर और महासचिव नवीन भंसाली ने बताया कि मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन 2023 ललित विस्त्रा ग्रंथ पर आधारित है। नवकार जपेश्वरी परम पूज्य शुभंकरा श्रीजी आदि ठाणा 4 के मुखारविंद से सकल श्री संघ को जिनवाणी श्रवण का लाभ दादाबाड़ी में मिल रहा है। साथ ही उन्होंने नगरवासियों से साध्वीजी के मुखारविंद से जिनवाणी का श्रवण करने का आग्रह किया है।