जनता के साथ अन्याय -सिर्फ नेताओं के आगमन पर सुधर रहे रास्ते : विशु देवांगन

धमतरी (प्रखर)नगर निगम के उपनेता प्रतिपक्ष सत्येन्द्र देवांगन ने शासन-प्रशासन की असंवेदनशीलता और जनहित की अनदेखी पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा है कि राज्योत्सव की तैयारियों के नाम पर प्रशासन की वास्तविकता एक बार फिर उजागर हो गई है। महीनों से जिन सड़कों पर क्षेत्र की आम जनता धूल, गड्ढों और कीचड़ से परेशान थी, उन्हीं सड़कों को अब अचानक सुधारने का काम तेज़ी से शुरू कर दिया गया है — क्योंकि अब उन मार्गों से नेताओं के काफिले गुजरने वाले हैं।
श्री देवांगन ने कहा कि क्षेत्रवासियों ने बार-बार सड़क मरम्मत की मांग की, परंतु प्रशासन ने कभी ध्यान नहीं दिया। जनता की शिकायतें महीनों तक अनसुनी रहीं, लोग रोज़ दुर्घटनाओं और असुविधाओं से जूझते रहे। लेकिन जैसे ही राज्योत्सव कार्यक्रम में माननीय नेताओं के आगमन की खबर आई, उसी सड़क पर मशीनें दौड़ पड़ीं, गड्ढे भरे जाने लगे और दिखावे के कार्यों की बाढ़ सी आ गई।
उन्होंने कहा कि यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि शासन-प्रशासन जनता के प्रति नहीं, बल्कि नेताओं की सुविधा के प्रति अधिक संवेदनशील है। सड़कों का रखरखाव जनता के टैक्स के पैसों से होता है, इसलिए उन पर जनता का अधिकार है, न कि केवल नेताओं की यात्रा के लिए।
देवांगन ने कहा, “आज यह सवाल उठता है कि क्या सड़कें सिर्फ नेताओं के लिए सुधारी जाएंगी? क्या जनता को तब तक धूल और कीचड़ में चलना होगा जब तक कोई ‘विशेष अतिथि’ उस मार्ग से न गुजरे? यह रवैया जनता के साथ सीधा अन्याय है।”
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का दोहरा मापदंड जनता के विश्वास पर आघात है। विकास का अर्थ केवल कार्यक्रमों और उत्सवों की सजावट नहीं होना चाहिए, बल्कि यह जनता के रोजमर्रा के जीवन में झलकना चाहिए। शासन-प्रशासन की प्राथमिकता सदैव जनसुविधा होनी चाहिए, न कि दिखावे की राजनीति।
उपनेता प्रतिपक्ष ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन केवल नेताओं की उपस्थिति में ही विकास का दिखावा करेगा, तो जनता इसे कभी स्वीकार नहीं करेगी। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की कि सभी मुख्य मार्गों और वार्डों की सड़कों की नियमित मरम्मत एवं रखरखाव की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।
श्री देवांगन ने अंत में कहा कि धमतरी की जनता अब सब समझ चुकी है। विकास दिखावे से नहीं, बल्कि संवेदना और जिम्मेदारी से होता है। प्रशासन को यह समझना होगा कि सत्ता का उद्देश्य जनता की सेवा है, न कि नेताओं के आगमन पर शहर को चमकाना। जनता जागरूक है और ऐसे अन्याय के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठाती रहेगी।



