छत्तीसगढ़

किसी कामना के साथ नहीं, नियमित पूजा पाठ करें अन्यथा कोई प्रतिफल नहीं मिलेगा : साध्वी शुभंकरा श्रीजी

रायपुर। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में बुधवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने कहा कि पूजा-पाठ और अनुष्ठान केवल भगवान की आराधना के लिए करना। अगर किसी कामना के साथ आप पूजा पाठ करेंगे तो उसका प्रतिफल आपको दिखाई नहीं देगा। लोगों के जीवन में जब समस्याएं आती है तो वह मंदिर की ओर रुख करते हैं, जबकि आपको हर दिन सबसे पहले मंदिर जाना चाहिए। चाहे आप किसी समस्या में हो या आपका जीवन आनंदमयी चल रहा हो।

साथ ही साथ आपको अपने जीवन में संगति अच्छी रखनी होगी। मित्र ऐसे बनाओ कि जिनके संगति से आपके जीवन का कल्याण हो जाए। यह कल्याण मित्र कोई भी बन सकता है। वे आपके परिजन हो सकते हैं, रिश्तेदार हो सकते हैं आपके पुराने दोस्त या नए दोस्त भी हो सकते हैं। कल्याण मित्र बनाने से पहले आपको ‘दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है’ से भी ज्यादा सचेत और सतर्क रहना होगा। क्योंकि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो विसंगति आपको पतन की ओर ले जा सकती है। आपको अपने जीवन का कल्याण करना है, क्योंकि मनुष्य जीवन आपको बार-बार नहीं मिलने वाला, यह याद रख लीजिए।

साध्वीजी कहती है कि आपको प्रत्येक कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा, संभलकर चलना होगा और चिंतन द्वारा चेतना को जागृत करना होगा। हम जब भी मंदिर और धर्मस्थलों पर जाते हैं तो परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि हमारी रक्षा करना। यह प्रार्थना हम अपने शरीर के लिए नहीं बल्कि आत्मा के लिए करते हैं क्योंकि हमारी केंद्र बिंदु आत्मा है। जब मृत्यु हो जाए तो आत्मा भी शरीर छोड़कर निकल जाती है लेकिन हमें दिखाई नहीं देती पर उसका अस्तित्व होता है। आप जब सह परिवार प्रवचन सुनने आते हैं या किसी शादी पार्टी में जाते हैं तो घर को ताला लगाकर चाबी अपने साथ लेकर आते हैं। आप ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि आपको अपने धन की चोर डाकू से, किचन में दूध दही की बिल्ली से और अनाज की चिटियों से रक्षा करना है। आज आपको आपका घर, धन, अनाज सब दिखाई देता है, इसलिए इनकी रक्षा करना आपका एक लक्ष्य बन जाता है। आपकी आत्मा आपको दिखाई नहीं देती इसलिए आत्म कल्याण का कोई भी काम आप नहीं करते हो। हमें आज जागृत होना पड़ेगा और अपनी अंतरात्मा को पहचानना होगा ताकि हम इसकी आत्मरक्षा कर सकें और इस जीवन का सदुपयोग कर मोक्ष को प्राप्त कर सकें।

आपको हर दिन भोजन तो करना है पर यह मन की प्रसन्नता के साथ होना चाहिए। जबकि आपका मन तब प्रसन्न होता है, जब आपके सामने आपका मनपसंद भोजन आ जाए। प्रसन्नता के साथ आप भोजन करेंगे तो आपका आत्म कल्याण होगा, नहीं तो दुखी मन से भोजन करने पर आपकी आत्मा का क्षय होगा। आप संतो को देख लीजिए उबले चावल को भी बड़े मजे से खाते हैं। आपको जो मिले वह पश्चाताप करके खा लीजिए। भोजन के दौरान आपको कोई नुस्ख नहीं निकालना है कि यह थोड़ा जल गया, कच्चा रह गया, नरम रह गया या कड़क रह गया। भोजन को लेकर ऐसी बातें करने से आप अपने कर्म बांधते हो। प्रसन्नता से भोजन करोगे तो वह आपके लिए लाभदायक रहेगा और वह शरीर के लिए अनुकूल हो जाएगा। आज आप संकल्प लीजिए कि दिन में जितने भी बार भोजन करेंगे तो खाना खाने से पहले अपने ईष्ट देव को याद करेंगे।

Author Desk

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