छत्तीसगढ़

जिस दिन आप परमात्मा को अपना मानने लगोगे तब आपको असल सुख-शांति का अहसास होगा : साध्वी शुभंकरा श्रीजी

रायपुर। आप कितने सालों से मंदिर जा रहे हो। कितने सालों से आप पूजा-पाठ कर रहे हो, फिर भी आपको सुख-शांति नहीं मिल रही है। यह आपको लगता जरूर है लेकिन आपको जो सुख-शांति मिली है, उसे आप पहचान नहीं रहे हो। आप बेटे-बेटियों को जिस तरह से अपना मानते हो उसी तरह से परमात्मा को आप अपना मानने लगोगे तो आप खुद को भी पहचानने लगोगे। जिस दिन आप परमात्मा को अपना मान लोगे, उसी दिन से आप सुख-शांति का अहसास करना शुरू कर दोगे। परमात्मा को पहचानने के लिए आपको परमात्मा जैसे कर्म रहित बनना होगा। आज हम कर्म सहित है, केवल एक शब्द ‘स’ को हटाकर हमें ‘र’ लगाना है, फिर हमारा हित हो जाएगा। आपको पैसा कमाने किसी ने नहीं बोला है, परिवार को खुशहाल बनाने के लिए भी आपको किसी ने कुछ नहीं बोला है लेकिन आज हम आपको कहते है कि परमात्मा की शरण में आओ तो आप उस बात को नहीं मानते हो। परमात्मा पर आपको आस्था नहीं है, विश्वास नहीं है। हम आपको प्रक्रिया बता रहे है, फिर भी आप उसका पालन नहीं कर रहे हो और आपको मोक्ष प्राप्त करना है। यह बातें एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मास 2023 की प्रवचन श्रृंखला के दौरान नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने कही।

साध्वीजी ने कहा कि आप जब किसी फ्लाइट में सफर करते है तो आपको पाइलेट पर भरोसा होता है कि वह आपको आपके मंजिल तक सुरक्षित पहुंचा देगा। वैसे ही भरोसा उस आदमी पर होता है जो आपके बाल काटता है, आप उसे पूरे विश्वास के साथ उसे अपना माथा सौंप देते हो। क्या ऐसा करते समय कभी आपको डर लगा कि वह उस्तरा आपके गले में चला देगा, नहीं। वैसे ही आपको अपने ड्रायवर पर भरोसा होता है कि वह अपको सुरक्षित एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा देगा। इन सभी पर हमें विश्वास है लेकिन परमात्मा पर हमें विश्वास नहीं है। आपको परमात्मा के प्रति आस्था जगानी होगी क्योंकि परमात्मा की वाणी कभी आपको गलत दिशा में नहीं ले जाएगी। भगवान महावीर स्वामी का संदेश है ‘जीयो और जीने दो’। आप हमेशा इन्हें दोहराते रहते हो पर खुद इन्हें अपने जीवन में उतारने से कतराते हो। यह भगवान के गुणों का अंशमात्र ही आप अपने जीवन में उतारते हो तो आपका जीवन सफल हो जाएगा।

साध्वीजी कहती है कि हमें अपने मन को साफ रखना है। अगर आपने तीन लोगों को माफ कर दिया तो आपको तेले के तप का पुण्य मिल जाएगा और अगर आपने आठ लोगों को माफ कर दिया तो आपको अट्ठाई तप का सौभाग्य मिल जाएगा। जिंदगी बड़ी ग़जब की है, जब हम पैदा होते हैं तब हमारी सांस होती है पर तब हमारा नाम नहीं होता, जब हम मरते हैं तब नाम होता है पर सांस नहीं होती। ये जिंदगी नाम और सांस के बीच की दौड़ है। जो जिंदगी को बेफिक्री से जी लेता है वह जिंदगी की हर बाजी जीत जाता है। तस्वीर में तो हर कोई मुस्कुराता है पर जो व्यक्ति तकलीफ में भी मुस्कुराना सीख जाए, मानलो वह जीवन की बाजी जीत गया। अपने वे नहीं होते जो तस्वीर में हमारे साथ होते हैं, असली अपने वे होते हैं जो तकलीफ में भी हमारे साथ होते हैं।

तपस्वियों का हुआ बहुमान
मनोहरमय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर और महासचिव नवीन भंसाली ने बताया कि दादाबाड़ी में तप करने वाले श्रावक-श्राविकाओं का श्रीसंघ की ओर से बहुमान किया गया।

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