Ram-Charitra- रामायण का प्रत्येक चरित्र उत्तम, राम को लेकर भारत-रूस के संबंध

Ram-Charitra रामायण का प्रत्येक चरित्र उत्तम है। कौशल्या जैसी माता। लक्ष्मण जैसा भाई। सीता जैसी पत्नी। हनुमान जैसा भक्त। राम जैसा राजा। यह चरित्र, विश्व का दुर्लभ इतिहास चरित्र है। वाल्मीकी ने रामायण के प्रस्तावना में लिखा : “तेषां मिदम आख्यानं रामायणमितिम श्रुतं ” अर्थात “मेरा यह ग्रन्थ इक्ष्वाकु वंश का इतिहास है, जो राजा दशरथ और उनके महान पुत्र राम से जुड़ा है ” शायद ही कोई भारतीय होगा जो राम के कथानक से परिचित नहीं होगा। रोमिला थापर जैसे आधुनिक इतिहासकार इसे इतिहास ग्रन्थ नहीं मानते क्योंकि यह श्लोक रूप में लिखी है ।
आर्य आक्रमण की विचार अवधारणा रखने वाले लोग ही रामायण और महाभारत को इतिहास ग्रन्थ नहीं मानते। अब थापर को कौन समझाए की भारत का समग्र प्राचीन ज्ञान और विज्ञान श्लोक रूप में ही लिखी है। ऐसे अज्ञानी लोगों को यह कहना चाहिए की संस्कृत का ज्ञान नहीं होने के कारण रामायण और महाभारत को बोधगम्य करना कठिन है। यह प्रश्न भारत के आम जनता, खेत में काम करने वाले किसान से पूछना चाहिए की रामायण क्या है ! उत्तर मिल जाएगी। रामायण की तरह महाभारत इतिहास ग्रन्थ है।

भगवान कृष्ण का श्रीमद्भगवद्गीता महाभारत का अंग है , जिसमें योग दर्शन की पराकाष्ठा है । महाभारत का मोक्ष धर्म पर्व राजधर्म विज्ञान जानने के अपूर्व ग्रन्थ हैं। आध्यात्मिक रूप से रूस, भारत के साथ राम चरित्र को लेकर भावुक रूप से जुड़ी है। राम चरित्र का स्पंदन अजरबेजान और रूस के दूरस्थ इलाके में अनुभव की गई। प्रोफ़ेसर वारानिकोव का रूसी राम चरित्र का अनुवाद बेहद भावुक और राम चरित्र के गहराई में डूबने का ग्रन्थ है। वहीं रूस, राम चरित्र को लेकर अत्यंत जीवंत है। इस महान देश ने राम को सजीव रखा।
Ram-Charitra को लेकर यूरोपीय ज्ञान का प्रभाव
वहीं भारत जैसे देश के विश्वविद्यालय जो यूरोप के ज्ञान की नक़ल कर रहे थे उन्होंने समाज में विषाक्त रूप से “राम-चरित्र” से दूरी बना ली। कोई पांच दशकों से भी ऊपर भारत के विश्वविद्यालय ज्ञान के नाम पर जहर परोसते रहे । इन्होने भगवान राम और भगवान कृष्ण को मिथक मान कर अक्षम्य अपराध किया है। सैकुलरवाद और इस्लाम के महिमामंडन का अपराध बोध आज हिन्दू समाज को नहीं होगी तो फिर कब होगी ? यह उनके आत्म बोध का समय है उन्होंने क्या खोया और क्या पाया। भगवान राम के उदार चरित्र के ऐतिहासिकता को कुछ इन शब्दों में बाँध दी गई जिसका अन्यत्र विवरण नहीं मिलता :
लोकाभिरामं रणरंगधीरं,राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं,श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये।।
चित्र परिचय : मिथिला पेंटिंग्स में राम सीता विवाह