शिव पार्वती विवाह में झूम उठे श्रद्धालू


धमतरी (प्रखर) पंचमुखी हनुमान नगर रत्नाबांधा धमतरी में चल रहे श्री सीमंत साहू जी के यहां आयोजित भव्य शिव महापुराण कथा 17 मई से 24 तक अयोजित कथा के चतुर्थ दिवस में पूज्य श्री नारायण महाराज जी ने शिव जी माता पार्वती जी मांगलिक विवाह उत्सव झांकी के माध्यम से कथा श्रवण कराया
शिव-पार्वती की झांकी के दर्शन कर श्रोता निहाल हो गए।कथावाचक पूज्य श्री नारायण महाराज जी ने कहा कि शिव विवाह के अदभुत प्रसंग सुनने का अवसर बड़े भाग्य से मिलता है। उन्होंने कहा कि भोलेनाथ ने गृहस्थ धर्म को अपनाकर यह सिखाया कि मनुष्य गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए भी भजन, पूजन, सत्कर्म से समाज की सेवा के साथ साथ आत्मकल्याण भी कर सकता है।
कथा सुनाते हुए कहा कि जब शिव और पार्वती का विवाह होने वाला था तो एक बड़ी सुंदर घटना हुई। ऐसा विवाह इससे पहले कभी नहीं हुआ था। शिव दुनिया के सबसे तेजस्वी प्राणी थे। एक-दूसरे प्राणी को अपने जीवन का हिस्सा बनाने वाले थे, उनकी शादी में बड़े से बड़े और छोटे से छोटे लोग सम्मिलित हुए। सभी देवता तो वहां मौजूद थे ही, असुर भी वहां पहुंचे। आमतौर पर जहां देवता जाते थे, वहां असुर जाने से मना कर देते थे और जहां कहीं भी असुर जाते थे, वहां देवता नहीं जाते थे, क्योंकि उनकी आपस में बिल्कुल नहीं बनती थी पर यह शिव का विवाह था, जिसमें सभी लोगों ने अपने सारे झगड़े भुलाकर एक साथ आने का मन बनाया। शिव पशुपति का मतलब बताते हुए कहा कि इसका मतलब सभी देशों के देवता भी हैं। इसलिए सभी जानवर, कीड़े, मकोड़े और सारे जीव उनके विवाह में शामिल हुए। यहां तक कि भूत, पिशाच और विक्षिप्त लोग भी बराती बनकर पहुंचे। यह एक शाही शादी थी, एक राजकुमारी की शादी हो रही थी। विवाह का ये प्रसंग सुनकर सभी श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
शिव महापुराण सुनने से दुखों की निवृत्ति और मनुष्य की मुक्ति हो जाती है। आज का व्यक्ति भोग और मुक्ति दोनों चाहता है। जब तक मनुष्य को भोग और मुक्ति प्राप्त न हो तब तक मनुष्य संतुष्ट नहीं होता। शिव महापुराण की कथा हर सांसारिक सुख प्रदान करती है। जहाँ महा शिवपुराण की कथा होती है वह पर सब तीर्थ प्रकट हो जाते हैं जो मनुष्य भक्ति पूर्व महाशिवपुराण एक श्लोक भी पढ़ लेता है वह उस समय पाप से मुक्त हो जाता है।
उत्कृष्ट और उत्तम भक्ति से ही भगवान के दर्शन होते है तभी भगवान प्रकट होते हैं। : व्रत धीरे धीरे व्यक्ति को कल्याण की ओर ले जाता है और जो व्यक्ति कभी व्रत या पूजा पाठ नहीं करता उसका कभी कल्याण नहीं हो सकता।
वह माँ बाप धन्य है जिनकी संतान बचपन से ही भगवान की भक्ति में लगी होती हैं क्यूंकि उनको पता है कि उनकी मृत्यु के बाद उनके पितृ को पूछने वाली उनकी संतान है।
महाराज श्री ने बताया की पूर्व काल में जो तन की तपस्या कही गई है उसके द्वारा भागवत प्राप्ति मानी गई है। और कलयुग का व्यक्ति अब तन की तपस्या करने के लिए तैयार नहीं है। परन्तु ऐसा सूक्ष्म साधन जिस सूक्ष्म सरल साधन के माध्यम से जीव को सहजता के साथ ही भक्ति भी प्राप्त हो, भगवत दर्शन भी प्राप्त हो और मुक्ति भी प्राप्त हो। मनुष्य जीवन में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका पार्थिव शिवलिंग सेवा में समाधान नहीं है।
समस्या हर किसी के जीवन में है चाहे वो छोटी हो या बड़ी। विघ्न हर किसी के जीवन में आते हैं। ऐसे में दो चीजें महत्वपूर्ण हैं, पहला उस विघ्न में हम डटे रहें और दूसरा कुछ ऐसा कार्य जिससे वो बुरा समय कम प्रभाव दिखा कर चला जाये। भगवान शिव की उपासना आपको हर विघ्न से बचाती है।
इस अवसर पर कथा पंडाल में कथा के आयोजक एवं मुख्य यजमान श्री सीमंत साहू जी दिनेश्वरी साहू श्री शंकर लाल साहू जी तन्मय साहू सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त उपस्थित रहें