छत्तीसगढ़

रद्दी में स्कूली किताबें मिलने का मामला : कांग्रेस का बड़ा आरोप, पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा भ्रष्टाचार करने स्कूली किताबों को रद्दी में बेचा गया, आंदोलन की चेतावनी

रद्दी में स्कूली किताबें मिलने का मामला : कांग्रेस का बड़ा आरोप, पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा भ्रष्टाचार करने स्कूली किताबों को रद्दी में बेचा गया, आंदोलन की चेतावनी

 

रायपुर। अखिल भारतीय काग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव एवं पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि दो दिन एक बडा सनसनी क्षेत्र खुलासा करते हुए सरकार की लापरवाही को उजागर किया गया। रियल बोर्ड पेपर मिल, सिलियारी सिलयारी में एक पेपर मिल के गोदाम में भारी मात्रा में स्कूली किताबों का जखीरा मिला। इस मामले में पतासाजी करने पर पता चला कि यह किताबें रद्दी में बेची गयी हैं।

 

विकास उपाध्याय ने कहा कि रायपुर के सिलियारी स्थित रियल पेपर मिल में लाखों किताबें कबाड़ में फेंकी जा रही हैं। ये वहीं किताबें हैं, जो सरकार द्वारा छात्रों को मुफ्त वितरण के लिए छपवाई गई थीं। सरकार ने किताबें छपवाई, लेकिन उन्हें छात्रों तक पहुंचाने के बजाय कबाड में बेच दिया। यह शिक्षा और बच्चों के भविष्य के साथ भारी प्रष्टाचार का ज्वलंत उदाहरण है। यह किताबें सर्व शिक्षा अभियान और छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा रकाशित की गई थीं, जो छात्रों को निशुल्क दी जानी थीं। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी बड़ा आंदोलन करेगी। सवाल यह है कि ‘कबाड़ में फेंकी जा रही इन किताबों का जिम्मेदार कौन है? यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है।

 

काग्रेस पार्टी द्वारा इस प्रकरण को सदन में उठाए जाने की बात कहते हुए बच्चों के भविष्य को कबाड़ में डालने वाली सरकार से श्वेत पत्र जारी कर स्थिति स्पष्ट करने की भी मांग की है।

 

उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले में एक बड़े भ्रष्टाचार की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। एक ओर पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों को किताबों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. दूसरी ओर बिना बांटे किताबों को रद्दी में किलो के भाव बेचे जाने का यह मामला बताता है कि किताबें छापने और बांटने का भ्रष्टाचार का खेल कैसा चल रहा है।

 

विकास उपाध्याय ने कहा किताबें जितनी मात्रा में छपनी चाहिए थी उससे कहीं ज्यादा मात्रा में छापा गया और फिर एजेंसी द्वारा छापने की राशि सरकार से ले ली गई, फिर उन्हीं किताबों को रद्दी में बेच दिया जाता है।सीधे-सीधे करोड़ों रूपये का भ्रष्टाचार इस पूरे प्रकरण में देखने को मिल रहा है और जब तक ऊपर से लेकर नीचे तक के लोग इस प्रकरण में संलिप्त नहीं रहेंगे तब तक ऐसे भ्रष्टाचार को अंजाम नहीं दिया जा सकता है।

 

उन्होंने कहा की वहीं वर्तमान सरकार द्वारा इस पूरे प्रकरण के खानापूर्ति के लिए पाँच सदस्यीय जाँचदल का गठन किया जाता है जिसमें से दो लोग पूर्व से ही भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं, हम इस जाँचदल की बजाय सीबीआई जाँच या फिर रिटायर्ड जज की अगुवाई में इस प्रकरण के जाँच की माँग करते हैं।

 

आज के इस प्रेस वार्ता में प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनद शुक्ला, पूर्व सांसद छाया वर्मा, पूर्व विधायक अनिता शर्मा एवं ग्रामीण जिलाध्यक्ष उधोराम वर्मा शामिल हुवे।

Author Desk

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