छत्तीसगढ़

विश्व रेबीज दिवस

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर किया जागरूकता रथ को रवाना

रेबीज वैक्सिनेशन पर लोगों को किया गया जागरूक








धमतरी  प्रखर  जिले में 18 वीं विश्व रेबिज दिवस का आज अयोजन किया गया । इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य एंटी रेबिज वैक्सीनेसन के प्रति जनजागरुकता तथा रेबिज से बचाव एवं प्रबंधन के उपाय के बारे में जागरुकता फैलाना है।

इस वर्ष का थीम “ब्रेकिंग रैविज बाउंड्रीस” है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ यू एल कौशिक ने जिले में रेबिज जागरुकता सप्ताह मनाने हेतु प्रचार- प्रसार रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस प्रचार रथ के जरिये शहरी क्षेत्र की जनता को रेबिज बीमारी से बचाव एवं समय पर एंटी रैबिज टीकाकरण तथा सतर्कता बरतने लाउड स्पीकर के माध्यम से जागरुक किया जा रहा है।

इसके पूर्व विभागीय बैठक में सभी शासकीय तथा निजी चिकित्सालयों में एंटी रेबिज ट्रीटमेंट प्रोटोकाल प्रदर्शित करने तथा जिले के सभी शासकीय स्वास्थ्य केन्द्रो / अस्पतालों में रेविज से बचाव हेतु मानक लॉजिस्टिक की उपलब्धता सुनिश्चित करने कहा गया। जिले में डॉग बाईट में निरंतर वृध्दि को रोकने के लिए स्वास्थ्य, नगरीय निकाय, पशु-चिकित्सा तथा वन विभाग द्वारा चर्चा की जावेगी। इस अवसर पर डॉ०  कौशिक ने बताया कि रेबिज एक विषाणु जनित रोग है, जिसका संक्रमण मनुष्य और गर्म खून वाले जानवरों के मतिष्क व तत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। रेबिज संक्रमण उपरांत यह पूर्णतः जानलेवा होता है। रेबीज के लक्षण शुरु होने के पूर्व टीकाकरण द्वारा रैबीज को आसानी से रोका जा सकता है। मनुष्यों में रैबिज पीड़ित जानवर मुख्यतः कुत्ते के काटने, खरोचने से फैलता है। इसके अलावा बिल्ली, नेवले, बंदर अन्य गर्म खून वाले जानवर के काटने खरोचने से भी फैलता है।
इसके मुख्य लक्षण घाव के स्थान पर दर्द या खुजली होना, तेज बुखार होना, दो चार दिन के लिये स्थाई सिरदर्द होना, पानी से डर लगना, तेज प्रकाश अथवा शोर बर्दाश्त करने में असमर्थ होना, मतिभ्रम के साथ व्यव्हार में परिवर्तन व बेहोशी आना। इससे बचाव हेतु घाव को बहते नल के नीचे साबुन व पानी से 10-15 मिनट तक  धोना चाहिए, फिर कीटाणु नाशक या एंटीसेप्टीक जैसे स्प्रिट, टियर आयोडीन आदि को घाव में लगाने के बाद जितनी जल्दी हो सके चिकित्सक के पास पहुंचे। चिकित्सक के निर्देशानुसार एन्टी रैबीज टीकाकरण नियमित करवायें।

जिले में “राष्ट्रीय रैबिज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिला चिकित्सालय व जिला के सभी सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 32 एंटीरैबीज क्लिनीक (कुत्ता / सांप काटने का उपचार कक्ष) की स्थापना की गई है, जहां पर इससे संबंधित समस्त उपचार के साथ ही एंटीरेबीज का टीका लगाया जाता है। स्वास्थ्य विभाग की निःशुल्क स्वास्थ्य परामर्श टोल फ्री नम्बर 104 पर डॉयल कर स्वास्थ्य संबंधी सभी जानकारी ले सकते हैं।

Author Desk

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