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अलगाववादी नेता यासीन मलिक तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गवाहों से जिरह करेगा

अलगाववादी नेता यासीन मलिक तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गवाहों से जिरह करेगा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को जेल से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गवाहों से जिरह करने की अनुमति दी। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार आईटी और जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल की तिहाड़ जेल और जम्मू में उपलब्ध वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं को लेकर सौंपी गई रिपोर्ट देखी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जम्मू सत्र न्यायालय वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग प्रणाली से अच्छी तरह सुसज्जित है, जिससे वर्चुअल सुनवाई संभव हो सकेगी। इस दौरान यासीन मलिक ने कहा कि वह गवाहों से जिरह के लिए वकील नहीं रखना चाहते। शीर्ष अदालत जम्मू ट्रायल कोर्ट के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे मलिक को निर्देश दिया गया था कि उन्हें राजनेता मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण के मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए शारीरिक रूप से पेश किया जाए।

दो मामलों में चल रही है सुनवाई
यासीन मलिक और पांच अन्य आरोपियों के खिलाफ दो मामलों में सुनवाई चल रही है। पहला मामला 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में गोलीबारी में चार भारतीय वायु सेना कर्मियों की हत्या से जुड़ा है। जबकि दूसरा मामला आठ दिसंबर 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा है। रुबैया सईद के अपहरण के बदले भाजपा समर्थित वीपी सिंह सरकार ने पांच आतंकवादियों को रिहा किया था। सीबीआई ने 1990 के दशक की शुरुआत में इस मामले को अपने हाथ में लिया था।

तिहाड़ जेल में बंद है यासीन मलिक
यासीन को एनआईए की विशेष अदालत ने आतंकी फंडिंग मामले में बीते साल 25 मई 2023 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यासीन को दो मामलों में उम्रकैद और 10 मामलों में 10 साल सजा सुनाई गई। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। इसके अलावा उस पर 10 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया था। मलिक तिहाड़ जेल में बंद है।

Author Desk

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