तेंदूपत्ता बोनस घोटाला में निलंबित डीएफओ अशोक पटेल 3 दिन की रिमांड पर

तेंदूपत्ता बोनस घोटाला में निलंबित डीएफओ अशोक पटेल 3 दिन की रिमांड पर
रायपुर। तेंदूपत्ता बोनस घोटाले मामले में एसीबी/ईओडब्ल्यू की संयुक्त कार्रवाई जारी है। इस मामले में गिरफ्तार किए गए निलंबित डीएफओ अशोक पटेल को विशेष कोर्ट में पेश किया गया था, जहां कोर्ट ने अशोक पटेल को 26 अप्रैल तक की रिमांड पर सौंप दिया है।
एसीबी/ईओडब्ल्यू की टीम ने निलंबित आईएफएस अशोक पटेल को 17 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। अब पूछताछ के लिए ईओडब्ल्यू ने कोर्ट से 30 अप्रैल तक की रिमांड की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल 26 अप्रैल तक की रिमांड मंजूर की है।
बताया गया कि अशोक कुमार पटेल का वर्तमान में मासिक वेतन लगभग 1.40 लाख रूपये के आसपास होना ज्ञात हुआ है तथा 9 वर्ष की सेवा अवधि में औसतन 80 हजार रूपये औसत मासिक नेट वेतन मानकर नेट वेतन की गणना की जाये तो 9 वर्ष में लगभग 85 लाख रूपये उन्हें वेतन के रूप में प्राप्त हुआ। लोकसेवक के द्वारा अर्जित आय जो लगभग 85 लाख रूपये है, की तुलना में लोक सेवक द्वारा विभिन्न संपत्तियों में लगभग 3.50 करोड़ रूपये व्यय किया जाना प्रथम दृष्टया पता चला है। इस तरह सत्यापन पर अशोक कुमार पटेल द्वारा प्रथम दृष्ट्या असमानुपातिक संपत्ति अर्जित कर स्वयं को साशय समृद्ध किया जाना पता चला।
क्या है तेंदूपत्ता बोनस घोटाला?
आरोप है कि वर्ष 2021-22 में वन विभाग द्वारा तेंदूपत्ता बोनस वितरण के दौरान लगभग 7 करोड़ रुपये की आर्थिक अनियमितता हुई। यह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों को अप्रैल-मई 2022 में वितरित की जानी थी, लेकिन राशि के आहरण के बावजूद आदिवासी संग्राहकों को भुगतान नहीं किया गया। जब इस मामले की जानकारी पूर्व विधायक मनीष कुंजाम को हुई, तो उन्होंने जनवरी 2025 में कलेक्टर सुकमा और सीसीएफ को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की।
शिकायत के बाद कलेक्टर और वन विभाग ने अलग-अलग जांच समितियां गठित की। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्राहकों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें तत्कालीन डीएफओ सुकमा अशोक पटेल की भूमिका सामने आई। प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया। इसके बाद से एसीबी और ईडब्ल्यू की संयुक्त टीम सुकमा और कोंटा क्षेत्र में तेंदूपत्ता प्रबंधकों पर निगरानी बनाए हुए है।