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सुप्रीम कोर्ट में जारी है सुनवाई, वक्फ 100 साल पुराना, तो कागज क्यों नहीं दिखाएंगे?

सुप्रीम कोर्ट में जारी है सुनवाई, वक्फ 100 साल पुराना, तो कागज क्यों नहीं दिखाएंगे?

नई दिल्ली। वक्फ कानून को लेकर दायर याचिकाओं पर आज भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें पेश कीं। बता दें कि मंगलवार को कपिल सिब्बल ने इस मामले में अपनी दलीलें रखीं थी। आज की सुनवाई में तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा, वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है लेकिन यह इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं है। दान हर धर्म का हिस्सा है और यह क्रिश्चियन के लिए भी हो सकता है। हिंदुओं में दान की एक प्रणाली है। सिखों में भी यह मौजूद है।

तुषार मेहता ने कहा कि 100 साल पुरानी संपत्ति का हम कागज़ कहां से लाएंगे, मुझे बताइए कि कागज़ कभी ज़रूरी नहीं थे, ⁠यह एक कहानी बनाई जा रही है। अगर आप कहते हैं कि वक्फ 100 साल से पहले बना था तो आप सिर्फ़ पिछले 5 सालों के ही दस्तावेज़ पेश करें। यह महज़ औपचारिकता नहीं थी, अधिनियम के साथ एक पवित्रता जुड़ी हुई थी। 1923 अधिनियम कहता है कि अगर आपके पास दस्तावेज़ हैं तो आप पेश करें अन्यथा आप मूल के बारे में जो भी जानते हैं, वो पेश करें।

आगे SG तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ बोर्ड केवल धर्मनिरपेक्ष कार्य करता है। जैसे वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करना.. हिसाब-किताब सही रखना है, इसमें खातों का ऑडिट किया जाता है। जहां तक वक्फ बोर्ड में अधिकतम 2 गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का मुद्दा है तो ये कहना है कि दो गैर मुस्लिम होने से क्या बदलाव आएगा। ये लोग किसी भी धार्मिक गतिविधि को प्रभावित नहीं करते।

हिंदू बंदोबस्ती आयुक्त मंदिर के अंदर जा सकते हैं

मंदिर में पुजारी का फैसला राज्य सरकार करती है। यहां वक्फ बोर्ड धार्मिक गतिविधि को बिल्कुल भी नहीं टच करता है। SG तुषार मेहता ने कहा कि झूठी और काल्पनिक कहानी गढ़ी जा रही है कि उन्हें दस्तावेज उपलब्ध कराने होंगे या वक्फ पर सामूहिक कब्जा कर लिया जाएगा।

 

Author Desk

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