छत्तीसगढ़ी थिएटर में है असीम संभावनाएं, युवाओं से उम्मीद : राकेश तिवारी

छत्तीसगढ़ी थिएटर में है असीम संभावनाएं, युवाओं से उम्मीद : राकेश तिवारी
छत्तीसगढ़ी भाषा, साहित्य और संस्कृति को समर्पित मंच आखर सुप्रसिद्ध लोक कलाकार राकेश तिवारी हुए शामिल। यह आयोजन प्रभा खेतान फाउंडेशन और अभिकल्प फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में सूत्रधार की भूमिका गौरव गिरिजा शुक्ला ने निभाई।
इस विमर्श में राकेश तिवारी ने अपनी छत्तीसगढ़ी रंगमंच की यात्रा, लोकनाट्य की भूमिका, तथा संगीत से जुड़ाव पर विस्तार से बात की। अपने विचार साझा करते हुए उन्होंने बताया कि ग्रामीण परिवेश में बचपन से ही उन्हें छत्तीसगढ़ की लोक कला से जुड़ने का अवसर मिला। घर में दादा-दादी से सुनी लोक गाथाओं और गाँव में आयोजित होने वाले नाचा गम्मत ने उन्हें इस कला से जुड़ने में अहम भूमिका निभाई। गांव के बाद, रायपुर आने पर वो रंगमंच, नाटक, और आकाशवाणी से जुड़ गए।
उन्होंने मंच पर अपने चर्चित नाटक ‘फोकलवा’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इसी मंच ने उन्हें जनमानस में पहचान दिलाई। आज उनके दोनों पुत्र भी मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में कार्यरत हैं और इस रचनात्मक परंपरा को अपने-अपने स्तर पर आगे बढ़ा रहे हैं।
कला के संरक्षण के सवाल पर उन्होंने कहा कि शासन और समाज दोनों को आगे आना होगा। हमारी अनेक सांस्कृतिक विरासत धीरे धीरे लुप्त हो रही है। इसे बचाया जाना चाहिए। सबको मिलकर प्रयास करना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि नई पीढ़ी को लोक कला के प्रशिक्षण के ज़रिए फिर से पुनर्जीवित किया जा सकता है। इस तरह के प्रशिक्षण को विद्यालयों और महाविद्यालयों में अनिवार्य बना देना चाहिए, ताकि बच्चों और युवाओं को कला के प्रति जागरूक किया जा सके और हमारी सांस्कृतिक विरासत को नई ऊर्जा मिल सके। कार्यक्रम में शहर के कला प्रेमी और साहित्यकारों के साथ ही युवा कलाकार भी जुटे और सभी ने आखर के प्रयासों की प्रशंसा की।
इस अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एवं पूर्व प्रमुख लोकायुक्त टी.पी. शर्मा ने राकेश तिवारी को सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन वैभव पांडे बेमेतरिहा ने किया।