छत्तीसगढ़

रोटी– बेटी और संस्कृति को बचा के रख पाना आदिवासी समाज के लिए बड़ी चुनौती–आर एन ध्रुव


धमतरी (प्रखर) सर्व आदिवासी समाज एवं अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ कसडोल, जिला बलौदाबाजार छ.ग. द्वारा विश्व आदिवासी मूल निवासी दिवस परब तिहार भव्यता पूर्व मनाया गया। कार्यक्रम में हजारों की तादाद में समाज के लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लिए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि आर एन ध्रुव प्रांताध्यक्ष अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ छत्तीसगढ़ ने कहा कि आदिवासियों के जमीन पर बहुराष्ट्रीय कंपनियों की गिद्ध दृष्टि लगी हुई है। आदिवासी के पास जमीन ही है जो हमको मूल आदिवासियत होने का प्रमाण देता है। आरक्षण का मूल आधार भी हमारी जल– जंगल– जमीन ही है। आज समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती रोटी– बेटी और संस्कृति को बचाकर रखना है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में जनगणना 2026 के आधार पर होने वाले परिसीमन में लगभग 26 विधानसभा सीटें बढ़ेगी। तदानुसार आदिवासियों के लिए 10 सीटों का इजाफा होना चाहिए इस पर समाज को ध्यान देने की जरूरत है। कुटिल कूटनीतिज्ञ अंग्रेज इतिहासकार लॉर्ड मैकाले द्वारा 1935 में ब्रिटिश पार्लियामेंट में दिए गए ऐतिहासिक भाषण के बारे में बताते हुए कहा कि अंग्रेज लॉर्ड मैकाले ने कहा था कि मैं भारत के कोने-कोने की यात्रा की है और मुझे एक भी ऐसा व्यक्ति दिखाई नहीं दिया जो भिखारी हो या चोर हो मैं इस देश में ऐसी संपन्नता देखी, ऐसे ऊंचे नैतिक मूल्य देखे, ऐसे योग्य व्यक्ति देखें कि मुझे नहीं लगता कि जब तक हम इस देश की रीढ़ की हड्डी को तोड़ न दे। उन्होंने भारतीय समाज की रीढ़ की हड्डी समृद्ध आध्यात्मिक ,सांस्कृतिक विरासत और इस देश की प्राचीन शिक्षा व्यवस्था को खत्म करने की बात कही थी। मैकाले ने कहा था कि हमें इन तीन चीजों को खत्म कर ही भारत को गुलाम बना सकते है। इसलिए आज यदि हम गुलामी से बाहर आना चाहते हैं तो हमारी मूल संस्कृति एवं शिक्षा को हर हाल में अपनाना होगा।

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