विजय दिवस आज : भारतीय सेना के आगे 93 हजार पाक सैनिकों ने किया था सरेंडर

विजय दिवस आज : भारतीय सेना के आगे 93 हजार पाक सैनिकों ने किया था सरेंडर
नई दिल्ली। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान आज के दिन (16 दिसंबर 1971) भारतीय सेना ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। यह युद्ध 13 दिनों तक चला था और अंतत: पाक सैनिकों के सरेंडर के साथ खत्म हुआ। इस युद्ध के खात्मे के साथ ही बांग्लादेश को भी आजादी मिली थी। भारतीय सैनिकों की वीरता के आगे पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे। करीब 93 हजार पाक सैनिकों ने सरेंडर किया था। इस युद्ध के सैनिकों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, अमित शाह ने श्रद्धांजलि दी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, विजय दिवस के अवसर पर मैं भारत माता के वीर सपूतों को सादर नमन करती हूं। उनके साहस, पराक्रम और मातृभूमि के लिए अनन्य निष्ठा ने राष्ट्र को सदा गौरवान्वित किया है। उनकी वीरता और राष्ट्रप्रेम देशवासियों को प्रेरित करते रहेंगे। भारतीय सेना की स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण की पहल भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने आत्मनिर्भरता, सामरिक दृढ़ता और आधुनिक युद्ध शैली के प्रभावी उपयोग का परिचय दिया है जो पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणास्रोत है। मैं सभी सैनिकों और उनके परिवारों को शुभकामनाएं देती हूं। जय हिन्द!
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखे अपने संदेश में कहा- विजय दिवस के मौके पर हम उन बहादुर सैनिकों को याद करते हैं जिनके साहस और बलिदान ने 1971 में भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाई। उनके पक्के इरादे और निस्वार्थ सेवा ने हमारे देश की रक्षा की और हमारे इतिहास में गौरव का एक पल दर्ज किया। उनकी बहादुरी को सलाम है। यह दिन उनकी बेमिसाल भावना की याद दिलाता है। उनकी वीरता देश की पीढिय़ों को प्रेरित करती रहेगी।
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सोशल मीडिया एक्स पर वीर सैनिकों और शहीदों को नमन करते हुए लिखा, वर्ष 1971 में आज ही के दिन सुरक्षा बलों ने अदम्य साहस और सटीक रणनीति के बल पर पाकिस्तानी सेना को परास्त कर उसे आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया था। इस विजय ने अन्याय और अत्याचार के खिलाफ ढाल बन, विश्वभर में मानवता की रक्षा का आदर्श उदाहरण पेश किया और भारतीय सेनाओं की अद्वितीय सैन्य क्षमता और पराक्रम का लोहा मनवाया। विजय दिवस पर, युद्ध में अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को नमन करता हूं।



