छत्तीसगढ़

रामकथा का चतुर्थ दिवस श्रद्धा, भक्ति और संस्कारों से ओतप्रोत


राम नाम से घर-परिवार में सुख, शांति और आनंद का वास होता है – पं. अतुल कृष्ण महाराज


मानस की चौपाइयाँ वेदों के मंत्र समान, मानव जीवन को बनाती हैं सौभाग्यशाली


धमतरी(प्रखर) नगर में आयोजित श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस पर श्रद्धालुओं की भारी उपस्थिति रही। व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए सुप्रसिद्ध कथावाचक पंडित अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम का नाम ही ऐसा दिव्य मंत्र है, जो प्रत्येक मनुष्य के घर-परिवार में सुख, शांति, समृद्धि और आनंद का वास कराता है। रामकथा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाला आध्यात्मिक मार्ग है।
पंडित अतुल कृष्ण महाराज ने श्रीरामचरितमानस की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानस की प्रत्येक चौपाई वेदों के मंत्र के समान है, जो मानव जीवन को संस्कारित और सौभाग्यशाली बनाती है। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि प्रत्येक घर में श्रद्धा और आस्था के साथ श्रीरामचरितमानस का पाठ होना चाहिए, जिससे परिवार में सकारात्मक ऊर्जा और सद्भाव बना रहता है।
कथा के दौरान उन्होंने भगवान राम के भ्राताओं लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के नामों की व्याख्या करते हुए उनके आदर्श चरित्र पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बच्चों का नामकरण धर्म, अध्यात्म और परंपरागत मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए, ताकि उनका जीवन भी संस्कारों से युक्त और कर्तव्यनिष्ठ बने।
भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का उल्लेख करते हुए पं. अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि कलियुग के प्रभाव से बचने के लिए भगवान कृष्ण की शिक्षाओं और लीलाओं को जीवन में आत्मसात करना आवश्यक है। यदि मनुष्य श्रीकृष्ण के मार्ग पर चलता है तो कोई भी संकट उसे विचलित नहीं कर सकता।
माता-पिता और गुरु की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि संसार के सभी रिश्तों में माता-पिता और गुरु ही ऐसे होते हैं, जो संतान की प्रगति में सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं। इसलिए प्रतिदिन सुबह उठकर माता-पिता एवं गुरु को प्रणाम करना चाहिए। उनके आशीर्वाद से जीवन में उन्नति और सफलता का मार्ग स्वतः प्रशस्त हो जाता है।
रामकथा का आयोजन परम सौभाग्य का विषय – धरमलाल कौशिक
रामकथा श्रवण हेतु पहुंचे छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने व्यासपीठ से आशीर्वाद प्राप्त कर उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि माता कौशल्या की भूमि और भगवान श्रीराम के ननिहाल में रामकथा का आयोजन अत्यंत सौभाग्य का विषय है। इस पावन आयोजन के लिए उन्होंने पंडित राजेश शर्मा को बधाई दी, जो निरंतर धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों के माध्यम से समाज को संस्कारों से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।
श्री कौशिक ने कहा कि अयोध्या में प्रभु मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के भव्य मंदिर की स्थापना के बाद आने वाले समय में मथुरा और काशी भी आस्था एवं श्रद्धा के प्रमुख केंद्र बनेंगे, यही संतों की वाणी और धार्मिक आयोजनों का पवित्र उद्देश्य है।
समर्थ से समरसता ही रामकथा का सार – पं. राजेश शर्मा
कथा आयोजन के संबंध में जानकारी देते हुए पंडित राजेश शर्मा ने कहा कि जब तक सामर्थ्य रहेगा, तब तक शहर की जनता से समरसता स्थापित करते हुए प्रभु श्रीराम कथा के आयोजन का माध्यम बनते रहेंगे। यही भगवान श्रीराम के समग्र जीवन दर्शन और आदर्शों का वास्तविक कृतार्थ रूप है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से रजनीश सिंह, रामू दोहरा, प्रीतेश गांधी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे। पूरा वातावरण रामनाम और भक्ति रस से सराबोर रहा।

Author Desk

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