मां की ममता पर आधारित गाने सुनते हो, क्या वाकई में वह भाव अपनी मां के प्रति रखते हैं : साध्वी शुभंकरा श्रीजी

रायपुर। एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला में सोमवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने कहा कि आज लोग अपने स्टैंडर्ड, अपना स्टेटस और अपनी बेबुनियादी जज्बातों के लिए कुछ भी कर सकते हैं। आज आप लोग मां पर आधारित कितने गाने सुनते हैं, पर क्या आपके अंदर मां के प्रति अपना आदर है जितना आप अपने बाहर दिखाते हैं। मां भगवान से बढ़कर होती है। जिस मां ने हमारे लिए 9 महीने दर्द सहन किया, 25 साल पाला पोसा और दुख झेला उस मां को आज लोग 25 मिनट में भूल जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि आज तो हम दो हमारे दो का जमाना आ गया है। पहले के समय में एक घर में पांच-सात भाई उनके साथ 5 से 6 से बहने हुआ करती थी। एक दंपति की 10 से ज्यादा संताने होती थी और मां सब को अकेले संभाल लेती थी। आज बुजुर्ग माता-पिता को की देखरेख के लिए भाई भाई पारी बांध लेते हैं। दो भाई रहे तो 6 महीना, 3 भाई हो तो चार-चार महीना और ऐसे ही कुछ गणित लगाकर वह मां-बाप की देखरेख करते हैं। पर मां बाप ने कभी आपकी देखरेख करने के लिए पारी नहीं बांधी, कोई गणित नहीं लगाया।
साध्वीजी कहती है कि हमें गुरू की पूजा करनी है और हमारी सबसे पहली गुरु हमारी मां है। जो मां की पूजा करते हैं वह परमात्मा को पूज लेते हैं। आज आपके घर में जीती जागती परमात्मा रुपी मां है, उनकी पूजा पहले होनी चाहिए। बिना मां की पूजा की आप भगवान की पूजा करेंगे तो भगवान भी आपकी पूजा स्वीकार को नहीं करेंगे। भगवान गणेश ने भी सबसे पहले अपनी मां की पूजा की थी।