छत्तीसगढ़

रक्षा से बना राखी शब्द, शास्त्रों में इसका अर्थ कर्तव्य का पालन है: साध्वी शुभंकरा श्रीजी

रायपुर। रक्षा शब्द से बना है राखी, शास्त्रों में इसका मतलब कर्तव्यों का पालन करना है। भाई मतलब सिर्फ खून का रिश्ता नहीं होता। भाई वह होता है जो सुहाता है, जो हम को भाता है। भाई अगर बहन को एक बार साड़ी भेज दे तो सालभर पहनने के बाद उस साड़ी को भी बहन भूल जाती है। भाई-बहन अपने जीवन में एक दूसरे से कुछ न कुछ मांगते ही रहते हैं और अक्सर बहन ही भाई से मांगती है और भाई भी बहन की सभी मांगों को पूरा करता है। यह बातें एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी प्रांगण में चल रहे मनोहरमय चातुर्मास 2023 की प्रवचन श्रृंखला के दौरान बुधवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा श्रीजी ने कही।

साध्वीजी कहती है कि सिर्फ भाई के हाथ में ही नहीं, हमें सब जगह राखी बांधनी चाहिए। दरवाजे की कुंडी से लेकर अलमारी, सोफा, कुर्सी-टेबल हर जगह पर आपको राखी बांधनी चाहिए। दरवाजे में राखी इसीलिए बांधी जाती है क्योंकि कोई भी असदाचारी, विकार या गंदगी घर के अंदर प्रवेश न करें। बनिए भी अपने कलम को राखी बांधते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनकी कलम के जरिए कोई अनीति ना लिखा जाए, कोई ऐसी दुर्बुद्धि ना दें ताकि कोई गलत वाक्य लिखा जाए। दुकानदार भी अपनी तराजू को राखी बांधता है, क्योंकि वह कभी गलत तौल ना कर दे। क्षत्रिय भी अपनी तलवार में राखी बांधते हैं, जबकि तलवार तो गर्दन उड़ाते हैं लेकिन वह तलवार में राखी बांधकर क्षत्रिय धर्म का पालन करते हैं। दोषियों को सजा देने वाला तलवार किसी निर्दोष पर ना उठ जाए इस वचन के साथ वे संकल्प लेते हैं और अपने राज्य की रक्षा करते हैं।

मनोहरमय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री सुशील कोचर और महासचिव श्री नवीन भंसाली ने बताया कि मनोहरमय चातुर्मासिक प्रवचन 2023 ललित विस्त्रा ग्रंथ पर आधारित है। नवकार जपेश्वरी परम पूज्य शुभंकरा श्रीजी आदि ठाणा 4 के मुखारविंद से सकल श्री संघ को जिनवाणी श्रवण का लाभ दादाबाड़ी में मिल रहा है। साथ ही उन्होंने नगरवासियों से साध्वीजी के मुखारविंद से जिनवाणी का श्रवण करने का आग्रह किया है।

Author Desk

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