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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे प्रधानमंत्री मोदी, पहलगाम हमले और आतंकवाद के खिलाफ दिखेगी एकजुटता

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे प्रधानमंत्री मोदी, पहलगाम हमले और आतंकवाद के खिलाफ दिखेगी एकजुटता

नई दिल्ली। इस बार का ब्रिक्स सम्मेलन ब्राजील में आयोजित होने जा रहा है। इस सम्मेलन में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के देशों के नेताओं की ओर से पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की जाएगी। इन नेताओं के घोषणापत्र में भारत की उम्मीद के अनुरूप आतंकवाद का एकजुट होकर सामना करने के लिए दृढ़ रुख अपनाने का आह्वान भी शामिल होगा। विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स नेताओं के घोषणापत्र में आतंकवाद के संबंध में जो बातें कही जाएंगी, वे हमारे लिए “संतोषजनक” होंगी।

पांच देशों की यात्रा पर पीएम मोदी
दरअसल, पीएम मोदी ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। बता दें कि यह सम्मेलन छह और सात जुलाई को आयोजित किया जाएगा। इसके बाद भारत अगले साल ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करेगा। पीएम मोदी इससे पहले 2 से 9 जुलाई तक पांच देशों की यात्रा पर गए हैं, जिसमें ब्राजील भी शामिल है। पीएम मोदी जिन अन्य देशों की यात्रा करेंगे उनमें घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और नामीबिया भी शामिल हैं। पीएम मोदी की इस यात्रा का मकसद महत्वपूर्ण खनिज, रक्षा एवं सुरक्षा, व्यापार, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना है।

पहलगाम हमले को लेकर संवेदनशील हैं देश
विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी की भागीदारी समूह के साथ भारत की एकजुटता की अभिव्यक्ति होगी। यह उनके लिए ‘ग्लोबल साउथ’ के नेताओं से जुड़ने का एक बड़ा मौका होगा। उन्होंने कहा, “पहलगाम पर भारत के रुख के साथ अपनी सहमति, सहानुभूति और एकजुटता को लेकर सदस्यों ने जो दृष्टिकोण अपनाया है, उसमें कोई विरोधाभास नहीं है। मुझे लगता है कि इसे नेताओं की घोषणा में अच्छी तरह से व्यक्त किया गया है और सभी सदस्य इस मामले को लेकर बहुत संवेदनशील हैं।”

ईरान-इजरायल संघर्ष का भी होगा जिक्र
दम्मू रवि ने कहा, “आतंकवाद के खतरे से निपटने के तरीके पर भी व्यापक समझ है और इससे निपटने में किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। मुझे लगता है कि इसे बहुत अच्छी तरह से समझा गया है।” उन्होंने कहा, “जब आपको घोषणापत्र मिलेगा, तो आप देखेंगे कि इसकी भाषा हमारे लिए संतोषजनक है।” ब्रिक्स घोषणापत्र में ईरान-इजरायल संघर्ष का जिक्र होने की भी उम्मीद है। रवि ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से चार ठोस “उपलब्धियां” हासिल होने की उम्मीद है, जिनमें वैश्विक शासन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जलवायु वित्त पर एक मासौदा घोषणापत्र और सामाजिक रूप से निर्धारित बीमारियों के उन्मूलन के लिए साझेदारी शामिल है।

राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार पर चर्चा
वहीं चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के शिखर सम्मेलन में शामिल न होने के फैसले के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह भारत के लिए ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों को आगे बढ़ाने के लिए एक अहम मंच होगा। उन्होंने संकेत दिया कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापारिक लेन-देन के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “‘ग्लोबल साउथ’ के देश भी विकल्प तलाश रहे हैं। यह ‘डी-डॉलराइजेशन’ का मुद्दा नहीं है। देश राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापारिक लेन-देन भी कर रहे हैं। यह काफी समय से हो रहा है।” उन्होंने कहा कि ब्रिक्स इस बात को लेकर सहमति बना रहा है कि राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार और परियोजनाएं शुरू करने के लिए वैकल्पिक तंत्र होना कितना महत्वपूर्ण है।

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