गौमाता और वृद्ध मां के विछोह, बाद मिलन की अद्धभुत अनुभूत

बीमार माता अस्पताल से लौटनें के पश्चात ही गौमाता ने ग्रहण किया भोजन
धमतरी(प्रखर) गौ माता भले बोल नहीं सकती लेकिन वह समझती सब है, देखती भी है, और सुनती भी है और शास्त्रों में कहा भी जाता है कि अद्भुत, अलौकिक तथा अव्दितिय प्रेम की साक्षात प्रतिमूर्ति है गौ माता जिसका प्रमाणित एवं ज्वलंत उदाहरण सब देखने को मिला जब शहर से 10 किलोमीटर दूर दर्री गांव के सरपंच हिमांशु शेखर साहू की दादी तथा वरिष्ठ समाजसेवी दयाराम साहू की माता चार दिन पूर्व उम्रदराज होने के कारण अस्वस्थ हो गई थी जिसे उपचार हेतु शहर के प्रतिष्ठित अस्पताल में भर्ती किया गया था उनके स्वास्थ्य लाभ की चिंता उनके परिजनों को थी लेकिन घर के एक सदस्य के रूप में दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी घर की गौ माता भी उसे वृद्ध माता को ना देखने के कारण काफी बेचैन रही यहां तक कि उसने खाना पीना का त्याग करने जैसी स्थिति भी निर्मित कर दी थी अब इस परिवार को यह समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन जब वृद्ध माता की अस्पताल से छुट्टी हुई और घर पहुंची तो गौ माता के चेहरे में भी अलग ही रौनक थी और वह देखते ही चार ग्रहण करना चालू कर दी वृद्ध माता भी अपने वात्सल्य एवं प्रेम को उसके प्रति रोक नहीं पाई और घर के अंदर ना जाकर ही पहले जहां पर गौ माता बनी थी वहीं पहुंची और जब एक दूसरे से उन्होंने मिलकर एक अलग ही वात्सल्य का अद्भुत नजारे के रूप में निर्माण हुआ तो यह क्षण उपस्थित परिवार के सभी सदस्यों के आंखों को नम कर गई और आज भी संबंधों के पवित्रता का एक साक्षात उदाहरण समाज के सामने दोनों ही माता के रूप में सामने आया जो गोधन के रक्षा उसके प्रति त्याग व समर्पण की एक अलग गाथा कहता है।