छत्तीसगढ़

सुरक्षाबलों ने नक्सली हिड़मा को मुठभेड़ में मार गिराया, पत्नी सहित अन्य नक्सली भी ढेर

सुरक्षाबलों ने नक्सली हिड़मा को मुठभेड़ में मार गिराया, पत्नी सहित अन्य नक्सली भी ढेर

सुकमा। छत्तीसगढ़ – आंध्र प्रदेश सीमा पर हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने मोस्ट वांटेड माओवादी हिड़मा को मार गिराया है। हिडमा के साथ उसकी पत्नी भी मारी गई है। आईजी पी सुंदरराज ने मीडिया को बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र से एक बेहद अहम सूचना सामने आ रही है। आधिकारिक पुष्टि और औपचारिक घोषणा की प्रतीक्षा है, पर शुरुआती संकेत बताते हैं कि यह कदम वामपंथी उग्रवाद के उन्मूलन में देश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बन सकता है। हालांकि आंध्र प्रदेश के डीजीपी हरीश गुप्ता ने औपचारिक तौर पर अब तक नहीं की है, लेकिन उन्होंने सुबह कॉम्बिंग के बारे में जानकारी दी थी।

बता दें कि माओवादी हिडमा पर लगभग 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। जानकारी के लिए बता दें कि आंध्र प्रदेश के ग्रेहाउंड जवानों का सर्चिंग ऑपरेशन लगातार जारी है। मुठभेड़ छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश के बॉर्डर पर अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मारेडुमिली में पुलिस–माओवादियों के बीच हुई है। जिसमें छह नक्सली ढेर हुए हैं। मारेडुमिली क्षेत्र में सोमवार सुबह सुरक्षाबलों और माओवादियों के बीच जोरदार मुठभेड़ हुई। जानकारी के अनुसार सुबह 6 बजे से 7 बजे के बीच हुई इस फायरिंग में दोनों ओर से कई राउंड गोलियां चलीं।

आंध्र प्रदेश की सीमा से लगे जंगलों में माओवादियों की बढ़ती गतिविधियों की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया। मंगलवार सुबह 6 से 7 बजे के बीच पुलिस और माओवादियों के बीच जमकर मुठभेड़ हुई। इसके बाद माओवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके बाद पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की। बताया जा रहा है कि इस मुठभेड़ में हिडमा और हेमा के साथ ही उन्हें सुरक्षा प्रदान कर रहे चार अन्य माओवादी भी मारे गए।

बता दें कि छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पुववर्ती गांव की आदिवासी जनजाति मुरिया से माड़वी हिडमा ताल्लुक रखता है। वह बाल संघ के जरिए माओवादी पार्टी में शामिल हुआ। अपने लोगों में विचारों का संचार करने वाले हिडमा ने माओवादियों द्वारा संचालित एक स्कूल में अपने विचारों की शुरुआत की। उसने किशन जी उर्फ भद्रन्ना के नेतृत्व में सशस्त्र संघर्ष में कदम रखा।

76 जवानों की हत्या में था हाथ
जब हिडमा जेगुरुगोंडा क्षेत्र बल का कमांडर था, तब उसने वरिष्ठ नेता नंबाला केशव राव के नेतृत्व में चिंतलनार-टेकुमेटला हमले का नेतृत्व किया। इस हमले में 76 सीआरपीएफ जवान मारे गए। इसके बाद हिडमा को माओवादी पार्टी में खास पहचान मिली। लगभग 25 साल पहले छिपने वाला हिडमा उस समय माओवादी पार्टी की केंद्रीय समिति का सबसे कम उम्र का सदस्य था। बता दें कि पिछले हफ्ते छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम ने हिडमा की मां से मुलाकात की थी और हिडमा के सरेंडर की बात कही थी।

माड़वी हिड़मा का असली नाम संतोष था, नक्सल संगठन सीपीआई (माओवादी) का सबसे कुख्यात और घातक कमांडर माना जाता था। वह कम से कम 26 बड़े और जानलेवा नक्सली हमलों के लिए जि़म्मेदार था, जिनमें 2013 का दरभा घाटी नरसंहार और 2017 का सुकमा हमला शामिल है। 1981 में सुकमा जिले के पूवर्ति गांव में जन्मा हिड़मा माओवादियों की सबसे खतरनाक लड़ाकू इकाई पीएलजीए बटालियन नंबर 1 का प्रमुख था। संगठन ने उसे सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी का सबसे युवा सदस्य बनाया था, और वह बस्तर क्षेत्र से इस उच्च नेतृत्व में जगह बनाने वाला एकमात्र आदिवासी था। उसकी क्रूर रणनीतियों और हमलों को अंजाम देने की क्षमता के कारण उस पर एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। कार्रवाई के दौरान हिड़मा के साथ उसकी दूसरी पत्नी राजे (राजक्का) के भी मारे जाने की जानकारी मिली है। वह सालों से सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में था और नक्सल नेटवर्क का सबसे खतरनाक चेहरा माना जाता था।

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