पंचम दिवस पर श्रीराम–जानकी विवाह महोत्सव की अलौकिक छटा, भक्तिरस में सराबोर हुआ धमतरी

धमतरी(प्रखर) श्रीराम कथा के पंचम दिवस पर जनकपुर की दिव्य झांकी, सीता स्वयंवर और श्रीराम–जानकी विवाह प्रसंग ने श्रद्धालुओं के हृदय को भावविभोर कर दिया। व्यासपीठ से कथा का सजीव वर्णन करते हुए प्रख्यात कथावाचक पं. अतुल कृष्ण महाराज ने सनातन संस्कृति, आदर्श शासन और विवाह संस्कार की मर्यादा पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “सनातन परंपरा में विवाह केवल सामाजिक आयोजन नहीं, बल्कि जीवन को संस्कारित करने वाला पवित्र संस्कार है। इसकी मर्यादाओं को आत्मसात कर आगे बढ़ना ही सच्चा धर्म है।”
कथा के दौरान जनकपुर के वैभव और राजा जनक के आदर्श चरित्र का उल्लेख करते हुए पं. अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि “जहां का राजा धर्मात्मा, न्यायप्रिय और परमार्थी होता है, वहां की प्रजा स्वयं में श्रेष्ठ हो जाती है।” उन्होंने बताया कि राजा जनक का जीवन तप, त्याग और विवेक का प्रतीक था, इसी कारण उनके घर जगतजननी माता जानकी का प्राकट्य हुआ। यह प्रसंग इस बात का प्रमाण है कि शासक का आचरण ही पूरे समाज की दिशा तय करता है।
भगवान श्रीराम के स्वयंवर हेतु जनकपुर आगमन की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जब संतान कोई महान कार्य करती है, तब संसार स्वयं उसके सामने नतमस्तक हो जाता है। ऐसे क्षण माता-पिता और गुरुजनों के लिए सबसे अधिक गौरव और आनंद देने वाले होते हैं। भगवान श्रीराम के रूप, शील, सरलता, मर्यादा और करुणा को उन्होंने परमात्मा के दिव्य गुणों का प्रतीक बताया, जो आज भी मानव जीवन के लिए आदर्श हैं।
माता जानकी के रूप और सौंदर्य का वर्णन करते हुए पं. अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि “मन को सुंदर सदन बनाना ही सच्ची साधना है।” यदि माता सीता के सत्यम, शिवम और सुंदरम के जीवन आदर्शों को आत्मसात कर लिया जाए, तो मानव जीवन स्वयं स्वर्गमय बन सकता है। यही रामकथा की वास्तविक सार्थकता है।
कथा के भावपूर्ण प्रसंगों में पुष्प वाटिका में भगवान श्रीराम और माता सीता की प्रथम भेंट, धनुष यज्ञ और सीता स्वयंवर का विस्तृत वर्णन किया गया। भारतीय संस्कृति में विवाह को एक पवित्र संस्कार बताते हुए उन्होंने कहा कि इसकी पवित्रता से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता है। श्रीराम–जानकी विवाह महोत्सव को बाजे-गाजे, मंगल गीतों और जयघोष के साथ मनाया गया, जिससे श्रद्धालु झूम उठे और पूरा पंडाल भक्तिमय वातावरण में परिवर्तित हो गया।
कथा में आगे वर्तमान समय से जोड़ते हुए गुरु गोविंद सिंह जी के त्याग, तपस्या और बलिदान का स्मरण कराया गया। उन्होंने कहा कि धर्म की रक्षा और समाज की एकता के लिए त्याग आवश्यक है। भक्ति के अंगीकार से ही रामराज्य की स्थापना संभव है और इसी मार्ग से भारत पुनः विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित होगा।
इस अवसर पर श्रीराम कथा के आयोजक पं. राजेश शर्मा ने उपस्थित धर्मप्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में सनातन संस्कृति के समक्ष अनेक चुनौतियां खड़ी की जा रही हैं। ऐसे में समाज में सद्भावना, एकता और धर्म के प्रति आस्था को जागृत करना ही कथा आयोजन का परम उद्देश्य है। उन्होंने सभी वर्गों की सहभागिता के लिए आभार व्यक्त किया।कथा श्रवण के लिए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष रंजना साहू ने कहा की आज जब समाज नैतिक चुनौतियों, सामाजिक विभाजन और संस्कारों के क्षरण जैसी समस्याओं से जूझ रहा है, तब रामकथा हमें समरसता, भाईचारे और राष्ट्रप्रेम का संदेश देती है। हमें भगवान श्रीराम के आदर्शों को केवल सुनने तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने व्यवहार और कर्म में उतारना चाहिए। जब प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करेगा, तभी सशक्त, समृद्ध और संस्कारित भारत का निर्माण संभव होगा।मैं इस पावन रामकथा आयोजन के लिए समस्त आयोजकों को हृदय से बधाई देती हूँ और प्रभु श्रीराम से प्रार्थना करती हूँ कि उनकी कृपा से हमारे जीवन में सदैव सुख, शांति, सद्भाव और धर्म का मार्ग प्रशस्त हो। सहित शहर के अनेक गणमान्य नागरिक, समाजसेवी, व्यापारी, चिकित्सक, युवा एवं मातृशक्ति बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। पंचम दिवस का यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति, संस्कार और उल्लास का अनुपम संगम बनकर श्रद्धालुओं के हृदय में अमिट स्मृति छोड़ गयाआज के कथा श्रवण क लिए प्रमुख रूप से गोपाल शर्मा,जीतेन्द्र शर्मा ,राजेश शर्मा, प्रताप राव कृदत ,जानकी वल्लभ जी महराज, श्याम अग्रवाल,इंदर चोपड़ा,भरत मटियारा, रंजना साहू,दिलिप राज सोनी,राजेंद्र शर्मा , योगेश गांधी,डॉ प्रभात गुप्ता, डॉ एन.पी.गुप्ता, डॉ जे.एल.देवंगान,अर्जुन पुरी गोस्वामी,दयाराम साहू ,विजय सोनी, अशोक पवार,बिथिका विश्वास,शशि पवार, कविंद्र जैन,गोलू शर्मा ,प्रकाश शर्मा ,विकास शर्मा,नरेश जसूजा, नरेंद्र जयसवाल, कुलेश सोनी, पिन्टू यादव, राजेंद्र गोलछा, महेंद्र खंडेलवाल, दीप शर्मा, देवेंद्र मिश्रा विजय शर्मा, बिट्टू शर्मा, खूबलाल ध्रुव, संजय तंम्बोली,प्रदीप शर्मा,मालकराम साहू ,मनीष मिश्रा, सूरज शर्मा, लक्की डागा ,योगेश रायचुरा, मधवराव पवार, राजेंद्र स्रोती ,अरुण चौधरी, रंजीत छाबड़ा ,भरत सोनी ,अखिलेश सोनकर, संजय देवांगन, धनीराम सोनकर, गजेंद्र कंवर, ईश्वर सोनकर,पप्पू सोनी शत्रुधन पांडे, हेमंत बंजारे,नीलमणि पवरिया हेमलता शर्मा,नीतू शर्मा,चंद्रकला पटेल, रूखमणी सोनकर,सरिता यादव ,दमयंती, गजेंद्र गायत्री सोनी, गीता शर्मा, ममता सिन्हा, ईश्वरी पटवा, मोनिका देवांगन,बरखा शर्मा,ललिता नाडेम,अंजू पवन लिखी, हर्षा महेश्वरी ,सुमन ठाकुर,डाँली सोनी, भारती साहू ,हिमानी साहू ,आशा लोधी, प्रभा मिश्रा ,भारती खंडेलवाल,अनिता सोनकर आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।



