रामकथा के सातवें दिवस केवट प्रसंग ने भाव-विभोर किया श्रोताओं को

सेवा, प्रेम और समर्पण से ही मानव जीवन होता है सार्थक – पं. अतुल कृष्ण
धमतरी (प्रखर)धमतरी के रामकथा स्थल पर आयोजित रामकथा के सातवें दिवस भगवान श्रीराम के केवट प्रसंग का अत्यंत भावपूर्ण और जीवंत वर्णन सुनाया गया। कथा वाचक पं. अतुल कृष्ण महाराज जी ने कहा कि केवट प्रसंग भक्ति, विश्वास, सेवा और सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण है। प्रभु श्रीराम की दृष्टि में न कोई छोटा है, न बड़ा—वे केवल भक्त के हृदय के भाव को देखते हैं।
कथा के दौरान पं. अतुल कृष्ण महाराज ने बताया कि वनवास काल में जब प्रभु श्रीराम माता सीता और भ्राता लक्ष्मण के साथ गंगा तट पर पहुंचे, तब केवट को गंगा पार कराने के लिए बुलाया गया। साधारण नाविक केवट ने प्रभु के चरणों की महिमा को जानकर पहले उनके चरण धोने की विनम्र अनुमति मांगी। केवट का यह निश्चल भाव सुनकर श्रोता भाव-विभोर हो गए और कई श्रद्धालु अपने आंसू नहीं रोक पाए।
केवट द्वारा प्रभु के चरण पखारकर चरणामृत को मस्तक पर धारण करना सच्ची भक्ति और सेवा का प्रतीक बताया गया। कथा में यह संदेश दिया गया कि सच्चा भक्त प्रभु से कभी कुछ नहीं मांगता, बल्कि सेवा को ही अपना सौभाग्य मानता है। गंगा पार कराने के पश्चात प्रभु द्वारा कुछ देने की इच्छा पर केवट का यह कहना कि “प्रभु, आपकी सेवा का अवसर ही मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार है,” श्रोताओं के हृदय को स्पर्श कर गया।
पं. अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि आज के समय में जब समाज भेदभाव और स्वार्थ से ग्रस्त है, तब केवट प्रसंग हमें समरसता, मानवता और निस्वार्थ सेवा का मार्ग दिखाता है। यदि हम केवट जैसी निष्कपट भक्ति और प्रभु श्रीराम जैसी करुणा को अपने जीवन में उतार लें, तो मानव जीवन स्वतः ही सार्थक हो जाएगा।
कथा श्रवण के पश्चात आयोजक पं. राजेश शर्मा ने कहा कि समाज ने हमें बहुत कुछ दिया है, अब हमारा कर्तव्य है कि हम भी समाज को कुछ लौटाएं। शहर और समाज को अपना परिवार मानकर सेवा भाव से कार्य करना ही इस कथा का सार है, जिसे वे और उनका परिवार सदैव तन, मन और धन से निभाते रहेंगे।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे, जिनमें शहर के गणमान्य नागरिक, समाजसेवी, चिकित्सक, व्यापारी एवं मातृशक्ति प्रमुख रूप से शामिल रही। रामकथा के सातवें दिवस का यह आयोजन भक्ति, भाव और संदेश से परिपूर्ण रहा।
आज के कथा श्रवण के लिए प्रमुख रूप से गोपाल शर्मा,जीतेन्द्र शर्मा ,राजेश शर्मा, प्रताप राव कृदत ,जानकी वल्लभ जी महराज, ओंकार साहू विधायक, तारणी चन्द्राकर, नीलम चन्द्राकर, आकाश गोलछा,श्याम अग्रवाल, दिलिप राज सोनी,राजेंद्र शर्मा , योगेश गांधी,डॉ प्रभात गुप्ता, डॉ एन.पी.गुप्ता, डॉ जे.एल.देवंगान,अर्जुन पुरी गोस्वामी,दयाराम साहू ,विजय सोनी, अशोक पवार,बिथिका विश्वास,शशि पवार, कविंद्र जैन,गोलू शर्मा ,प्रकाश शर्मा ,विकास शर्मा,नरेश जसूजा, नरेंद्र जयसवाल, कुलेश सोनी, पिन्टू यादव, राजेंद्र गोलछा, महेंद्र खंडेलवाल, दीप शर्मा, देवेंद्र मिश्रा, डेनिस चंद्राकर,ज्ञानिक राम टेके,हरख जैन ,विजय शर्मा, बिट्टू शर्मा, खूबलाल ध्रुव, संजय तंम्बोली,प्रदीप शर्मा,मालकराम साहू ,मनीष मिश्रा, सूरज शर्मा, लक्की डागा ,योगेश रायचुरा, मधवराव पवार, राजेंद्र स्रोती ,अरुण चौधरी, रंजीत छाबड़ा ,भरत सोनी ,अखिलेश सोनकर, संजय देवांगन, धनीराम सोनकर, गजेंद्र कंवर, ईश्वर सोनकर,पप्पू सोनी शत्रुधन पांडे, हेमंत बंजारे,नीलमणि पवरिया , ज्योति जैन,हेमलता शर्मा, खिलेश्वरी किरण,चित्रलेखा निर्मल कर, श्यामा साहू,नीतू शर्मा,चंद्रकला पटेल, रूखमणी सोनकर,सरिता यादव ,दमयंती, गजेंद्र गायत्री सोनी, गीता शर्मा, ममता सिन्हा, ईश्वरी पटवा, मोनिका देवांगन,बरखा शर्मा,ललिता नाडेम,अंजू पवन लिखी, हर्षा महेश्वरी ,सुमन ठाकुर,डाँली सोनी, भारती साहू ,हिमानी साहू ,आशा लोधी, प्रभा मिश्रा ,भारती खंडेलवाल,अनिता सोनकर आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।



