154 आदिवासी परिवारों की भूमि विवाद पर अनुसूचित जनजाति आयोग सक्रिय — जांच समिति गठित करने के निर्देश

धमतरी(प्रखर) मंगलवार को छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री रूप सिंह मंडावी का धमतरी प्रवास हुआ। इस दौरान वे पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस पहुंचे, जहां सर्व आदिवासी समाज के पदाधिकारी एवं अजजा शासकीय सेवक विकास संघ के प्रतिनिधियों ने उनसे सौजन्य मुलाकात की।
बैठक में सर्व आदिवासी समाज जिला धमतरी के अध्यक्ष श्री जीवराखन मरई ने आयोग अध्यक्ष के समक्ष 154 आदिवासी परिवारों की भूमि से संबंधित गंभीर मामला रखा। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 एवं शासन द्वारा निर्धारित प्रावधानों के अनुसार, आदिवासी समाज की भूमि 5 एकड़ सिंचित अथवा 10 एकड़ असिंचित भूमि से कम होने पर गैर-आदिवासी को विक्रय की अनुमति नहीं दी जा सकती, किंतु तत्कालीन कलेक्टर के निर्देशों का पालन न करते हुए, जमीन दलालों की मिलीभगत से 154 परिवारों को भूमिहीन कर दिया गया।
इस पर आयोग अध्यक्ष श्री मंडावी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए विस्तृत जांच के लिए समिति गठित करने का आश्वासन दिया। उन्होंने अपने सचिव श्री पवन नेताम को निर्देशित किया कि इस जांच समिति में आयोग के सदस्य, सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष एवं कुछ शासकीय अधिकारियों को शामिल किया जाए, ताकि निष्पक्ष जांच सुनिश्चित हो सके।
बैठक में अजजा शासकीय सेवक विकास संघ के पदाधिकारियों ने भी अपनी प्रमुख मांगें रखीं। इनमें 32% आरक्षण की बहाली, बस्तर एवं अंबिकापुर संभाग में स्थानीय भर्ती में आरक्षण लागू करने, तथा संविधान में प्रदत्त आदिवासी अधिकारों के संरक्षण से जुड़ी बातें प्रमुख रहीं।
बताया गया कि इस भूमि प्रकरण को लेकर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग एवं अन्य एजेंसियों को पूर्व में भी ज्ञापन प्रेषित किया जा चुका है, किंतु संतोषजनक जवाब नहीं मिलने से समाज में आक्रोश व्याप्त है।
इस अवसर पर समाज के प्रमुख पदाधिकारी जीवराखन मरई, हर्ष मरकाम, जयपाल ठाकुर, रामेश्वर मरकाम, भूमिका कोर्राम, शिव नेताम (कोषाध्यक्ष, गोंड समाज), युवराज मरकाम, दिग्विजय मरकाम, तथा शासकीय कर्मचारियों में गेवाराम नेताम, दौलत धुव, सिद्धार्थ नेताम सहित कई सदस्य उपस्थित रहे।



