बिहार में फिर से नीतीशे सरकार, एनडीए को जनता ने दिया पूर्ण बहुमत, महागठबंधन की निकली हवा
एनडीए को महिलाओं, ओबीसी और ईबीसी वर्ग का बंपर समर्थन

पीएम मोदी कार्यकर्ताओं को करेंगे सम्बोधित
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के रुझानों में एनडीए ने बाजी मार ली है। एनडीए बहुमत के आंकड़े से काफी आगे निकल चुका है। सूबे के सबसे लंबे वक्त तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार अपने कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। तमाम एग्जिट पोल ने साफ इशारा किया था कि एनडीए को महिलाओं, ओबीसी और ईबीसी वर्ग का बंपर समर्थन मिला है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार मतदान के दोनों ही चरणों में पुरुषों के मुकाबले में महिलाओं ने ज्यादा वोटिंग की। आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.6 फीसदी रहा था। मतदान के बाद के लगभग सभी सर्वेक्षणों ने एनडीए की जीत का अनुमान जताया था, और नतीजे भी उसी तरफ हैं। सुबह से रुझानों को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थक पटना स्थित जेडीयू कार्यालय के बाहर जश्न मना रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती जारी है लेकिन रुझान में जदयू, भाजपा व अन्य दलों के एनडीए गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिल रहा है। बता दें कि राज्य में 243 विधानसभा सीटों के लिए बीते 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग हुई थी। अब खबर सामने आई है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शुक्रवार को शाम 6 बजे बीजेपी मुख्यालय जाएंगे। वह भाजपा मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे।
अखिलेश ने एसआइआर पर फोड़ा ठीकरा, कहा भाजपा दल नहीं छल है
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा- “बिहार में जो खेल एसआइआर ने किया है वो प. बंगाल, तमिलनाडू, यूपी और बाक़ी जगह पर अब नहीं हो पायेगा क्योंकि इस चुनावी साजि़श का अब भंडाफोड़ हो चुका है। अब आगे हम ये खेल, इनको नहीं खेलने देंगे।सीसीटीवी की तरह हमारा पीपीटीवी मतलब पीडीए प्रहरी चौकन्ना रहकर भाजपाई मंसूबों को नाकाम करेगा। भाजपा दल नहीं छल है।
एनडीए विकसित भारत की नींव डाल रहा : वित्त मंत्री ओपी चौधरी
शुरुआती रुझानों में एनडीए गठबंधन की बढ़त पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि यह सिर्फ एनडीए की बढ़त ही नहीं आंधी और सुनामी भी है। बिहार की जनता ने एनडीए को आशीर्वाद दिया। एनडीए विकसित भारत की नींव डाल रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता भी समझ रही हैं कि भाजपा और उनके सहयोगियों की सरकार बेहतर हैं। भाजपा और एनडीए को आशीर्वाद मिल रहा है। वहां सुशासन स्थापित किया जा रहा है। वहीँ कांग्रेस के वोट चोरी वाले अभियान को लेकर मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कांग्रेस डूबती नांव हैं। महागठबंधन को जनता ने महठगबंधन करार दिया है। उनकी पार्टी के लोग अपनी जान बचाने इधर उधर भाग रहे हैं। इन्हें देश की जनता सबक सिखा रही है। जनता के बीच ये लोग नकारात्मक एजेंडा लेकर जाते हैं, अनर्गल आरोप लगाते हैं, जिसका जवाब जनता दे रही हैं।
किसी भी स्थिति में 160 से नीचे नहीं आएंगे : जीतन राम मांझी
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, ‘ये अप्रत्याशित नहीं है। हमने पहले से ही कहा था। हमने कहा था कि प्रचंड बहुमत से एनडीए की सरकार बनेगी और नीतीश कुमार ही हमारे मुख्यमंत्री होंगे। ये कोई नई बात नहीं हुई। हम उसी दिशा में जा रहे हैं। किसी भी स्थिति में हम 160 से नीचे नहीं आएंगे।’
महागठबंधन को ले डूबे ये फैसले
तेजस्वी यादव ने हर घर सरकारी नौकरी, पेंशन, महिला सशक्तिकरण जैसे बड़े वादे किए, लेकिन फंडिंग और टाइमलाइन का ठोस प्लान जनता से साझा नहीं किया। महागठबंधन मुस्लिम बहुल सीटों पर तो मजबूत रहा, लेकिन पूरे प्रदेश में यह छवि नुकसानदेह साबित हुई। बीजेपी ने इसे भुनाया और यादव वोट भी कई जगहों पर आरजेडी से खिसक गए। आरजेडी ने 144 सीटों में से 52 यादव उम्मीदवार उतारे, यानी करीब 36त्न। यह तेजस्वी की ‘यादव एकीकरण’ रणनीति थी, लेकिन इससे जातिवादी छवि और मजबूत हो गई। वक्फ बिल पर तेजस्वी के बयान ने भी विवाद बढ़ाया। आरजेडी उम्मीदवारों के मंच से दबंगई के अंदाज में ‘कट्टे वाला’ चुनाव प्रचार भी लोगों को पसंद नहीं आया। राजद का कांग्रेस और वाम दलों के साथ हुआ सीट शेयरिंग विवाद भी महागठबंधन को भारी पड़ गया। इस विवाद ने गठबंधन को कमजोर किया। एनडीए का चुनावी प्रबंधन बहुत हद तक प्रभावी रहा और पूरे बिहार में वोटरों ने मोदी-नीतीश की जोड़ी पर भरोसा जताया। चुनावी समर के बीच में भाजपा के बड़े नेताओं ने भी अपरोक्ष रूप से साफ कर दिया कि सीएम नीतीश ही होगे। इस एकजुटता से एनडीए पर भाजपा का भरोसा बढ़ा।
प्रशांत किशोर की रणनीति नाकाम
प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकी। प्रशांत किशोर ने 150 सीटों पर जीत का दावा किया था, लेकिन रुझान बताते हैं कि पार्टी न सिर्फ जीत से दूर है बल्कि ज्यादातर सीटों पर चौथे या पांचवें स्थान पर सिमटती दिख रही है. चुनावी तैयारी में पार्टी ने कोई कमी नहीं छोड़ी थी। विस्तृत जनसंपर्क अभियान, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर जोर, युवाओं को जोडऩे की कोशिश – सब कुछ प्रशांत ने खुद नेतृत्व करते हुए किया. इसके बावजूद जनता का भरोसा पार्टी की ओर नहीं झुका।



