हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा असम बारूद के ढेर पर बैठा है, बांग्लादेशी मूल के लोगों की आबादी 40 प्रतिशत

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा असम बारूद के ढेर पर बैठा है, बांग्लादेशी मूल के लोगों की आबादी 40 प्रतिशत
नई दिल्ली। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने हाल ही में एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान भी यही बात कही थी और कहा कि असम एक बारूद के ढेर पर बैठा है, जहां बांग्लादेशी मूल के लोगों की आबादी 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है। सरमा ने कहा कि चिंताजनक बात ये है कि इन लोगों को भारत में अब वैधता मिल चुकी है। राज्य की मूल पहचान खतरे में है। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ असम बल्कि पूरे देश की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
वहीँ असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अपने पोस्ट में एक मैप शेयर करके बांग्लादेश की धडकऩ बढ़ा दी है। पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश के कुछ छुटभैये नेता अक्सर भारत के चिकन नेक कॉरिडोर को लेकर बयानबाजी करते हैं। कई बार तो वो इसे लेकर धमकियां भी देते हैं। लेकिन एक सच्चाई ये भी है भारत में तो सिर्फ एक चिकन नेक कॉरिडोर है और बांग्लादेश में ये दो-दो हैं, जो और ज्यादा संवेदनशील हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का मैसेज साफ था कि बांग्लादेश में 2 बेहद नाज़ुक चिकन नेक कॉरिडोर’ हैं, और इन्हें भूलना बांग्लादेशियों के लिए किसी भी लिहाज से समझदारी नहीं है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया था, जो लोग अक्सर भारत के चिकन नेक कॉरिडोर को लेकर धमकियां देते रहते हैं, उन्हें इन फैक्ट्स पर भी ध्यान देना चाहिए कि बांग्लादेश में भी 2 चिकन नेक कॉरिडोर हैं, और ये भारत की तुलना में कहीं अधिक संवेदनशील हैं। पहला है 80 किलोमीटर का नॉर्थ बांग्लादेश कॉरिडोर, जो साउथ दिनाजपुर से साउथ वेस्ट गारो हिल्स तक है। यदि यहां किसी प्रकार का व्यवधान होता है, तो पूरा रंगपुर डिवीजन बांग्लादेश के बाकी हिस्सों से पूरी तरह कट सकता है। अपने पोस्ट में उन्होंने आगे कहा, दूसरा है 28 किलोमीटर का चटगांव कॉरिडोर, जो दक्षिण त्रिपुरा से बंगाल की खाड़ी तक लंबा है। भारत के चिकन नेक से भी यह कॉरिडोर छोटा है और यही बांग्लादेश की इकोनॉमिक कैपिटल और राजनीतिक राजधानी को जोडऩे वाला इकलौता लिंक है। मैं यहां सिर्फ वे भौगोलिक तथ्य बता रहा हूं, जिन्हें कुछ लोग अक्सर भूल जाते हैं। जिस प्रकार से भारत का सिलिगुड़ी कॉरिडोर है, उसी तरह हमारे पड़ोसी देश में भी 2 संकरे और बेहद अहम कॉरिडोर हैं।
इससे साफ है कि भौगोलिक परिस्थितियों को इग्नोर करके दिए गए बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि खुद बांग्लादेश के हित में नहीं हैं। बांग्लादेश 2 ऐसे संवेदनशील और संकरे कॉरिडोरों पर डिपेंड है, जिनमें जरा-सी अस्थिरता पूरे मुल्क की कनेक्टिविटी को प्रभावित कर सकती है।
असम की जनसंख्या में 40 प्रतिशत बांग्लादेशी मुस्लिम : सरमा
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एक कार्यक्रम के दौरान दावा किया कि राज्य की कुल जनसंख्या में से 40 फीसदी बांग्लादेशी मुस्लिम हैं। उन्होंने कहा कि साल 2027 में होने वाली जनगणना से ये स्पष्ट भी हो जाएगा। गुवाहाटी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘2027 की जनगणना से पता चल जाएगा कि असम में रहने वाली कुल आबादी में से 40 फीसदी जनसंख्या बांग्लादेशी मुसलमानों की है।’
घटनाओं को नहीं कर सकते नजरंदाज
बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या और उन पर हो रहे अत्याचारों पर भारत ने बेहद सख्त रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि जो घटनाएं अल्पसंख्यकों के साथ और हिंदुओं के साथ हो रही हैं, उसे दूसरा रूप दे दिए जाने से नजरंदाज नहीं किया जा सकता। रणधीर जायसवाल ने कहा कि हाल में एक हिंदू युवक की हत्या हुई, उसकी हम निंदा करते हैं। साथ ही हम उम्मीद करते हैं कि अपराधियों को जल्द कठघरे में लाया जाए। उग्रवादियों द्वारा अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। यह गहरी चिंता का विषय है। अल्पसंख्यकों के साथ जो जुल्म और हिंसा की घटनाएं बांग्लादेश में हो रही हैं, उनको नजरंदाज नहीं किया जा सकता। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत सरकार को कई भारतीय नागरिकों से शिकायतें मिली हैं जो अपने वीजा अपॉइंटमेंट के पुनर्निर्धारण में समस्याओं का सामना कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि वीजा संबंधी मुद्दे किसी भी देश के संप्रभु क्षेत्र से जुड़े होते हैं, लेकिन “हमने इन मुद्दों और अपनी चिंताओं को अमेरिकी पक्ष के सामने नई दिल्ली और वाशिंगटन डीसी दोनों जगह उठाया है।
यूनुस सरकार में अल्पसंख्यकों के साथ हुईं 2900 घटनाएं
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस सरकार में अब तक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, आगजनी और अन्य प्रताडऩों से जुड़ी 2900 घटनाएं हुई हैं। भारत के खिलाफ बांग्लादेश में जिन गलत धारणाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है, हमने उनको बार-बार खारिज किया है। वहां हो रही हिंसा और बिगड़ती कानून व्यवस्था के लिए बांग्लादेश की मौजूदा सरकार जिम्मेदार है। अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर हम सतर्क हैं। हम इसे करीबी से मॉनीटर कर रहे हैं। बांग्लादेश में हिंदू, ईसाई बौद्ध और सिखों की सुरक्षा चिंताजनक है। उनके साथ लगातार हिंसा हो रही है।



