छत्तीसगढ़

भारतीय भाषा उत्सव

भाषा के सर्वश्रेष्ठ तत्व है जिसके द्वारा हम अपनी मूल्य का सृजन करते हैंडॉ.सुनीता तिवारी

धमतरी(प्रखर) ग्रेसियस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय एवं एनसीटीई, नई दिल्ली के निर्देशानुसार उत्सव का आयोजन किया गया। “एक सप्ताह भारतीय भाषा अभियान”शुरू किया गया है जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाई विविधता को बढ़ावा देना और उसका जश्न मनाना तथा विविधता में एकता और गर्व की भावना का अनुभव करना है। यह अभियान 1 दिसंबर से 11 दिसंबर तक आयोजित किया गया।जिसमें महाविद्यालय द्वारा भारतीय भाषा उत्सव का उत्सव सिद्धांतों के अनुरूप अपनी भाषाओं की जीवंतता और महत्व को प्रदर्शित करते हुए एम.एड., बी.एड.डीएलएड प्रशिक्षणार्थियों को अपनी भाषाई कौशल को पहचानने के लिए, प्रेरित करने के लिए यह उत्सव मनाया जा रहा है। जिसमें विभिन्न प्रकार की गतिविधियों,व्याख्यान, वेबीनार आयोजित की गई। कार्यक्रम का प्रारंभ गौरी के मां सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत उद्बोधन डॉ. मुक्ता कौशिक , सह-प्राध्यापक के द्वारा किया गया। प्रस्तावना डॉ. रिया तिवारी, प्राचार्य, ग्रेसियस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन ,अभनपुर ने कहा कि भाषा हमारी भारतीय संस्कृति की वाहक भी है। यह धरोहर व अस्मिता की पहचान कराती है। हिंदी इतनी उदार है कि इसमें विभिन्न भारतीय भाषाओं को ही नहीं विदेशी भाषाओं को भी अपना कर समृद्धि किया है।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. आशुतोष शुक्ला, संचालक, ग्रेसियस महाविद्यालय ने कहा कि भाषा और संस्कृति के बीच का रिश्ता गहरा है। दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। एक खास भाषा आमतौर पर लोगों के एक खास समूह को दर्शाती है। सहसंचालक श्रीमती भारती शुक्ला ने कहां कि भाषा और संस्कृति में न केवल उसकी वर्णमाला शब्द व्यवस्था और व्याकरण के नियम सीखना शामिल होता है बल्कि विशिष्ट समाज के रीति रिवाज और व्यवहार के बारे में भी सीखना शामिल होता है।महाविद्यालय व्याख्यान के अंतर्गत “भाषा संस्कृति और हम: एक क्षेत्रीय विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्य वक्ता डॉ.सुनीता तिवारी, सहायक प्राध्यापक,मेट्स यूनिवर्सिटी रायपुर छत्तीसगढ़ में कहां कि भाषा समाज की मूलभूत आवश्यकता है, भाषा सामाजिक संपर्क का केंद्रीय साधन है भाषा के सर्वश्रेष्ठ तत्व है जिसके द्वारा हम अपनी मूल्य का सृजन करते हैं भाषा विकास का प्रभावशाली कारक है भाषा के माध्यम से ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जानकारी पहुंचती है। समाज में होने वाले बदलावों के चलते ही भाषा में नए शब्द वाक्य या वाक्यांश बनते हैं। एक समाज में बोली जाने वाली भाषा दूसरे समाज में बोली जाने वाली भाषा से भिन्न होती है इसके कई कारण होते हैं जिसमें समाज, संस्कृति, शिक्षा,लिंग ,भेद आयु आदि होते हैं। भारत जैसी राष्ट्र जहां अनेक भाषाएं बोली जाती है वहां पर इसका अंदाज लगाया जा सकता है कि भारत में सांस्कृतिक स्तर पर अत्यधिक भिन्नता पाई जाती है। हम भाषा को बोलने पर पता लगा सकते हैं कि वह व्यक्ति किस प्रांत या क्षेत्र से है। भाषा के दो स्तर है मौखिक और लिखित और भाषा के दोनों ही रूप ज्ञान है। संस्कृति से तात्पर्य हमारे रहन-सहन, रीति रिवाज, परंपरा, धर्म और जीवन शैली और जीवन मूल्यों से हैं। एक संस्कृति से दूसरी संस्कृति का मिलन भाषा के माध्यम से होता है। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक इन परंपराओं का संवहन भाषा ही करती है। हम इतिहास के आधार पर कह सकते हैं कि समाज में होने वाली क्रांतियों और परिवर्तनों का प्रमुख कारक भाषा ही रही है। भाषा के माध्यम से ही ज्ञान संचरण होता है, विचारों में परिवर्तन आता है ,जागृति आती है और इसके माध्यम से समाज की दिशा बदल जाते हैं। इसके अलावा “भारतीय भाषा उत्सव” का उत्सव के अंतर्गत रंगोली प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें प्रशिक्षणार्थियों द्वारा बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। आभार डॉ.मुक्ता कौशिक, एसोसिएट प्रोफेसर,कार्यक्रम के समन्वयक के द्वारा किया गया। इस सेमिनारमें समस्त पर प्राध्यापकगण एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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