छत्तीसगढ़

टीचर लर्निंग सेंटर, अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन, धमतरी में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन

पोस्टर प्रदर्शनी, प्रश्न मंच व कविताओं पर नाट्य मंचन

धमतरी – विश्व महिला दिवस(8 मार्च) के उपलक्ष्य में टीचर लर्निंग सेंटर, आमातालाब में शहर के दर्जनों युवा-युवतियाँ एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ महिला दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया । इस अवसर पर महिला दिवस से संबंधित पोस्टर प्रदर्शिनी, क्विज एवं स्त्री विमर्श से जुड़ी कुछ चुनिंदा कविताओं का नाट्य रूपान्तरण प्रस्तुत किया गया । और विचार किया गया कि दुनिया की आधी आबादी जो कि महिलाओं की है आखिर क्यों उन्हें आज भी बराबरी का हक़ नहीं मिल पाया है !
जब हम इस प्रश्न के तह तक जाते हैं तो वो तमाम तरह के भेदभाव जो आज तक इस पितृसत्तात्मक समाज के द्वारा महिलाओं के साथ किए जाते है वे बाते सामने आती है आज तक हमारे समाज में महिलाओं को या तो देवी समझा जाता है या एक ऐसी प्रजाति जो केवल घर संभाले बच्चा पैदा करे, चूल्हा चौका करे, पुरुषो के सुख-सुविधा का ध्यान रखे बस इतना ही समझा जाता रहा है । जबकि इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है कि हर वो काम जो पुरुष कर सकते है उन कामों को महिलाओं ने किया है और बेहतरी के साथ आज भी कर रही हैं ।
संविधान ने जो बराबरी का अधिकार महिलाओं को दिया है वो इस बात की चीख-चीख कर पैरवी करता है कि महिलाओं को न तो देवी समझ कर पूजा जाए ना ही दासी समझ कर रौंदा जाए उन्हें सिर्फ और सिर्फ एक औरत ही समझा जाए ।
इन तमाम तरह के विचारो पर केंद्रित साहित्य जो की बुद्धिजीवियों ने महिलाओं पर रचे हैं उन्ही रचनाओं में से कुछ चुनिंदा कविताओं पर शाश्वत उत्सर्ग थिएटर ग्रुप के सदस्यों ने नाट्य मंचन किया । इस पर खुली चर्चा करते हुए प्रयास किया गया कि जो भेदभाव सदियों से समाज में स्त्रीयों के साथ हो रहा है उसे खुद भी समझे तथा औरों को भी समझाये । साथ ही हमारे समाज ने रोजमर्रा के विभिन्न विभिन्न कार्यों, जिम्मेदारियाँ, उत्सवों, खेलों इत्यादि का बटवारा जिस तरह महिला-पुरुषों के आधार पर कर रखा है लोग उस पर अपनी दृष्टि डाले और उसे दूर करने का प्रयास अपने घर से, अपने स्कूल से, अपने आसपास से शुरू करे । इस मौके पर सर्वप्रथम आयोजन के उद्देश्य और भूमिका पर नरेन्द्र कुमार द्वारा प्रकाश डाला गया । उपस्थित सभी प्रतिभागियों का अभिनंदन किया गया । रूपरेखा व प्रश्न मंच का संचालन लोकेश प्रसाद ने किया । यह प्रश्न मंच भी महिलाओं के संदर्भ पर आधारित रहे । पी. जी. कॉलेज घमतरी के 10 छात्र जो फारेस्ट ऑफ लाइफ उत्सव के दौरान वालंटियर की भूमिका में थे उन्होंने भागीदारी किया ।
शाश्वत उत्सर्ग यूथ थियेटर समूह के शिक्षक एवं युवा सदस्यों ने लैंगिक भेदभाव पर केंद्रित चार कविताओं का नाट्य रूपांतरण कर मंचन किया । जिसमें आकाश गिरि गोस्वामी, गौतम साहू, वैभव रणसिंह, सोहन लाल साहू, चेतना रणसिंह, तिलक राम साहू, प्रियांशी मिश्रा, गीता , पलक, आशीष साहू एवं रूपेश देवांगन शामिल रहे । अभिनय और संवाद अदायगी इतना प्रबल था कि उपस्थित दर्शक मंत्र मुग्ध होकर प्रस्तुतीकरण को खूब सराहा व चर्चा में सक्रिय सहभागिता किया ।
अंत मे शाश्वत उत्सर्ग ग्रुप को फारेस्ट ऑफ लाइफ उत्सव पोटली नामक नाटक का मंचन हेतु अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से प्रशंसा पत्र प्रदान किया गया । तथा सभी वालंटियर को सहभागिता प्रमाणपत्र प्रदान किया गया।
तिलक सर, वैभव सर, गौतम सर, विराज व थियेटर समूह के अन्य सदस्यों ने इस अयोजन पर कहा कि महिलाओं को बराबरी का हक मिले इसके लिए हम सब को व्यक्तिगत तौर पर, परिवार में, स्कूल व समाज में इन बदलाव के लिए काम करना पड़ेगा । उत्तम सर बीआरपी, डॉ नम्रता व सुमनलता समग्र शिक्षा विकासखण्ड घमतरी ने अपने कार्यों के संदर्भ से अवगत कराया व इस तरह के आयोजन में पहली बार सहभगिता से खुशी जाहिर कर पा रहे थे।
संकुल समन्वयक नविता तिवारी ने अपने संघर्ष को बहुत खुशी से शेयर करते हुए अपनी बात रखा “मुझे लड़की होने से गणित पढ़ने से रोक रहे थे पर मैंने तय किया और गणित शिक्षक बनकर 35 साल से सेवा कर रही हूँ” । संकुल समन्वयक भागबली जोशी सर ने गांव के दो युवओं को भी साथ लेकर आये थे जो कि अपने गांव में युवा मंच को सक्रिय करने, युवाओ को जोड़ने और आगे की रणनीति पर बात किये ।
इस अवसर पर 36 शिक्षक एवं युवा छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे । इस आयोजन का संचालन लोकेश और सुनील ने किया आभार ज्ञापन नरेन्द्र ने किया ।

Author Desk

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