छत्तीसगढ़

गंगरेल से 40 टन तथा दुधावा से 140 टन मछली का निर्यात  कोलकाता की कंपनी के माध्यम से भेजी जा रही तिलापिया मछली



अमेरिका के लोगों को भा रही गंगरेल और दुधावा की मछली



धमतरी(प्रखर) गंगरेल व दुधावा बांध की मछली की डिमांड अब अमेरिका में भी होनी लगी है। यहां से तिलापिया मछली को निर्यात किया जा रहा है। इस सीजन में गंगरेल से 40 टन तथा दुधावा से 140 टन मछली निर्यात किया गया। खास बात कि एक बार निर्यात के बाद बड़ी मात्रा में और डिमांड आई है जिसे देखते हुए आगे उत्पादन बढ़ाने की तैयारी चल रही है। विदित हो कि प्रोटिन से भरपूर हल्की स्वाद वाली तिलपिया मछली अमेरिका में खासी लोकप्रिय है, इस मछली का उत्पादन धमतरी जिले के गंगरेल बांध तथा यहां से लगे कांकेर जिले के दुधावा बांध में हो रहा है। लंबे समय से यह मछली स्थानीय बाजार के अलावा प्रदेश के अन्य जिलो तथा पश्चिम बंगाल भेजी जा रही थी, वहीं अब इसका निर्यात अमेरिका शुरु हुआ है। एमआई के फिश नगरी के संचालक मो. आसिफ ने बताया कि तिलापिया मछली को इंसुलेटेड वाहन से कोलकाता ले जाकर एवं कोलकाता में मछली को प्रोसेसिंग कर फिलेट बनने के पश्चात संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात किया गया है। आने वाले दिनों में विशाखापटनम की कंपनी के माध्यम से मछली सीधे अमेरिका भेजी जाएगी। खस बात कि कंपनी यहां किसानों को सहयोग कर तालाब बनाने और मछली उत्पादन में लागत लगाने तैयार है। कंपनी से अनुबंध कर किसान मछली पालन करेंगे तो उन्हें न लागत लगाने की चिंता रहेगी न बिक्री के लिए बाजार खोजना पड़ेगा। लोगो के लिए मछलीपालन आय का एक अच्छा जरिया बन सकता है। मत्स्य विभाग के द्वारा भी मछली पालन को बढ़ावा देने तालाब बनाने पर अनुदान, बीज, जाल आदि प्रदान किया जा रहा है। वहीं दुधावा तथा गंगरेल में केज का निर्माण किया गया। जिससे मछली का उत्पादन बढ़ा इसलिए स्थानीय विक्रेताओं तथा आसपास के जिलों के मछली विक्रेताओं को बिक्री के बाद अतिरिक्त मछली को निर्यात किया जा रहा है।

चारों बांध में 546 केज कल्चर, तकनीक से बढ़ा उत्पादन


जिले के गंगरेल समेत चारो बांधों में 546 केज कल्चर लगाकर बेहतर ढंग से मछली पालन किया जा रहा वैसे बांधों मे मछली पालन सालों से हो रहा लेकिन आधुनिक तकनीक को अपनाने से उत्पादन में वृिद्धहुई है। केज कल्चर में पेंगासिस व तिलापिया मछली का उत्पादन प्रमुखता से होता है, इसमें तिलापिया की डिमांड अमेरिका में है। गंगरेल में 204, दुधावा में 240, माड़मसिल्ली में 48 तथा राजाडेरा जलाशय में 54 केज कल्चर की स्थापना की गई है। प्रत्येक केज कल्चर में 8 माह में करीब 4 टन मछली उत्पादन होता है। गंगरेल में फुटहामुड़ा व तुमाबुजुर्ग में केज कल्चर लगा है। केज कल्चर से आशय प्लािस्टक का सिस्टम व जाल लगाकर बांध के निर्धारित स्थान पर मछली पालन करने से है। एक केज कल्चर में क्षमता के अनुसार बीज डालकर उसे बड़ा किया जाता है, इस जाल के भीतर मछली के लिए हर रोज भोजन दिया जाता है। बांध की दूसरी मछलियों से इनका संपर्क नहीं रहता केज कल्चर में मछलियों का विकास तेजी से होता है।

जिले में हर साल 20 हजार मीट्रिक टन से अधिक उत्पादन


मत्स्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मछली उत्पादन में धमतरी जिला शुरु से अग्रणी रहा है। यहां बांध, हैचरी, तालाब, नदी, नाले, स्टापडेम सभी को मिला लिया जाए तो हर साल 20 हजार मीट्रिक टन से अधिक मछली का उत्पादन होता है। मुख्य रुप से रुहा, कतला, पंकाज, कॉमनकात, तिलापिया का उत्पादन होता है। यहां भुण्डा, झींगा, ग्रासकार की मांग अधिक है लेकिन उत्पादन कम है। तीन सरकारी फिश हैचरी देमार, सांकरा व परखंदा में है। हर साल 35 करोड़ स्पान उत्पादन होता है। मत्स्य महासंघ के अधीन देमार हैचरी करीब 100 एकड़ में है यह प्रदेश की सबसे बड़ी फिशर हैचरी है। धमतरी के मछली बीज की डिमांड बालोद, गरियाबंद, दुर्ग जिले में भी रहती है।

मछली के कारोबार का अमेरिका तक किया विस्तार


मछली के कारोबार का अमेरिका तक विस्तार करने में मुख्य भूमिका एमआईके फिश के संचालक मो. आसिफ की है। 40 साल पहले नगरी निवासी अब्दुल जब्बर ने एक तालाब से मछली पालन शुरु किया था, धीरे धीरे कारोबार को विस्तार दिया, उनके बाद पुत्र मो. इमरान ने मछली पालन के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई, उन्हें कई राष्ट्रीय पुरुस्कार मिले थे। कोरोना काल में उनकी मृत्यु के बाद कारोबार का संचालन देख रहे मो. आसिफ ने अमेरिका निर्यात शुरु कर एक तरह से कारोबार को अमेरिका तक विस्तार दिया है। इनके द्वारा मछली पालन के क्षेत्र में सैकड़ों लोगो को रोजगार दिया जा रहा, आगे कंपनी के माध्यम से किसानों को जोड़कर आय बढ़ाने का उद्देश्य है।
जिले में मछली का उत्पादन बढ़ाने बनाएंगे कार्ययोजना


कलेक्टर अबिनाश मिश्रा का कहना है कि धमतरी की मछली की विदेशों में डिमांड होना अच्छी बात है। जिले में मछली का उत्पादन बढ़ाने के लिए जल्द ही कार्ययोजना बनाई जाएगी। किसानों को मछली उत्पादन के लिए प्रेरित किया जाएगा। किसान तालाब बनाकर मछली उत्पादन करेंगे तो उनकी आय में वृिद्ध होगी तथा भूमि का जल स्तर भी बना रहेगा। किसानों के मछली पालन के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने कंपनी से भी चर्चा की जाएगी।

Author Desk

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