छत्तीसगढ़

एमपी-गुजरात तक बिक रहे धमतरी के केले

कुण्डेल के सुरेश को केले की खेती ने दिलाई अलग पहचान

धमतरी (प्रखर)अगर गंगरेल की तिलपिया मछली अमेरिका तक बिक सकती है, तो धमतरी के केले भी मध्यप्रदेश और गुजरात राज्यों के बड़े शहरों में बिक रहे हैं। जिले के कुण्डेल गांव के प्रगतिशील किसान सुरेश कुमार नत्थानी के खेत से उत्पादित केले मध्यप्रदेश, गुजरात तक जा रहे हैं। इससे सुरेश को आर्थिक लाभ तो हो ही रहा है, साथ ही धमतरी जैसे छोटे जिले में केले की खेती से दूसरे किसानों के लिए भी संभावनाएं बढ़ रहीं हैं। केले की खेती के लिए सुरेश नत्थानी को शासकीय योजनाओं का भी भरपूर लाभ मिला है। खुद सुरेश कहते हैं कि यदि इच्छा शक्ति हो और सरकार की योजनाओं का ठीक ढंग से उपयोग किया जाए, तो खेती एक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है। खेती से आप खुद के लिए आय तो पा ही सकते हैं, दूसरे लोगों को भी रोजगार दे सकते हैं। मगरलोड विकासखण्ड के कुण्डेल के युवा किसान श्री सुरेश नत्थानी के पास लगभग 24 एकड़ कृषि भूमि है। इसमें से लगभग 14 एकड़ रकबे में वे टिशू कल्चर वाले केले के पौधों का रोपण कर उन्नत खेती कर रहे हैं। इसके साथ ही बाकी बची भूमि पर वे खीरा, लौकी, मिर्ची, टमाटर जैसी साग-सब्जियां भी लगा रहे हैं।
नत्थानी ने बताया कि उन्होंने अपने खेत में उद्यानिकी विभाग से मार्गदर्शन और कृषि विकास योजना के तहत शासकीय अनुदान पर केले की खेती शुरू की थी और एक एकड़ में लगभग 20 टन उत्पादन भी लिया था। सुरेश नत्थानी अभी लगभग 14 एकड़ में टिशु कल्चर आधारित केले की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि केले की फसल दो साल तक चलती है। एक बार पौधे रोपने के बाद फसल से दो साल तक उत्पादन मिलता है। इससे दूसरे साल पौधे रोपने की लागत बच जाती है और किसानों को शुद्ध लाभ मिलता है। उन्होंने बताया कि उनके खेत में 20 टन प्रति एकड़ केले का उत्पादन हो रहा है। पहले साल लगभग एक लाख रूपये प्रति एकड़ और दूसरे साल लगभग डेढ़ लाख रूपये प्रति एकड़ का शुद्ध फायदा मिला है। सुरेश अपने खेत के केलों को ना सिर्फ धमतरी, रायपुर, बिलासपुर के स्थानीय बाजार में बेचते हैं, बल्कि थोक फल व्यापारियों के माध्यम से मध्यप्रदेश-गुजरात जैसे अन्य राज्यों तक भी भेज रहे हैं। सुरेश ने बताया कि उनके खेत में काम करने के लिए आसपास के गांवों के 100 से ज्यादा लोग भी आते हैं, जिससे उन्हें गांव के पास ही रोजगार मिल जाता है। केले की खेती ने सुरेश को जिले ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य में प्रगतिशील किसान के रूप में अलग पहचान दी है। सरकार की योजनाओं का लाभ लेकर उन्होंने सब्जी की खेती के लिए ड्रिप, पैक हाउस आदि भी लगाए हैं। सुरेश का लगभग साढ़े तीन लाख रूपये की व्यय सीमा का किसान क्रेडिट कार्ड भी बन गया है, जिसपर उन्हें खेती के लिए बिना ब्याज का लोन भी मिल जाता है। उन्होंने फसलों में पानी और खाद देने के लिए अपने खेत में अत्याधुनिक मशीन भी लगाई है, जिससे आधे घंटे के अंदर वे पूरे खेत में सिंचाई कर सकते हैं। आधुनिक तरीके से खेती करने के कारण सुरेश आसपास के किसानों के लिए भी रोल मॉडल बनकर सामने आए हैं। वे अपने खेतों में दूसरे किसानों को केला और सब्जी की खेती के तरीके भी सिखा रहे हैं। उन्हें देखकर दूसरे किसान प्रोत्साहित होते हैं। कुण्डेल में सुरेश की प्रेरणा से सब्जी की खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है।

Author Desk

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