पत्रकार की निर्मम हत्या के बाद भी कांग्रेस ने अपने चहेते हत्यारे नेता को निष्कासित न कर बेशर्मी की सारी हदे पार की : भाजपा

पत्रकार की निर्मम हत्या के बाद भी कांग्रेस ने अपने चहेते हत्यारे नेता को निष्कासित न कर बेशर्मी की सारी हदे पार की : भाजपा
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री संजय श्रीवास्तव ने कांग्रेस द्वारा पत्रकार स्व. मुकेश चंद्रकार का जीवित रहते भी बहिष्कार और मृत्यु के बाद भी बहिष्कार करने के लिए कांग्रेस नेताओं पर हमला किया है। संजय श्रीवास्तव ने कहा कि इस संबंध में 29 अप्रैल, 2024 को कांग्रेस द्वारा बाकायदा जिला कांग्रेस कमेटी जिला बीजापुर के लेटरपेड में पत्र निकाल कर दिवंगत पत्रकार स्व. मुकेश चंद्रकार पर झूठे आरोप लगाकर सार्वजनिक रूप से उन्हें अपमानित कर उनका बहिष्कार करने का ऐलान किया था।
संजय श्रीवास्तव ने कहा कि 4 जनवरी 2025 को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का तय कार्यक्रम जारी किया गया था, उसमें उनका रात्रि विश्राम काँकेर यानी कि बस्तर ही था साथ ही, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज भी इसी तारीख को जगदलपुर (बस्तर) में थे। उसके बावजूद ये दोनों नेता स्व. मुकेश चंद्रकार की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हुए, न ही कांग्रेस का कोई बड़ा नेता उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुआ। कांग्रेस ने एक सच्चे पत्रकार का जीवित रहते भी बहिष्कार किया और मृत्यु के बाद भी बहिष्कार किया। इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है? लोकतंत्र और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के प्रति कांग्रेस की सोच क्या है, यह फिर से प्रमाणित हुआ। युवा पत्रकार की निर्ममता से हत्या करने वाले कांग्रेस नेता सुरेश चंद्रकार को अब तक कांग्रेस पार्टी ने निष्कासित तक नहीं किया है।
संजय श्रीवास्तव ने कहा कि इससे भी अधिक शर्मनाक और क्या हो सकता है कि एक तरफ बस्तर गमगीन था दूसरी ओर कांग्रेस जश्न मना रही थी। स्व. मुकेश चंद्रकार की निर्ममता से हत्या के बाद जहाँ बस्तर सहित पूरा छत्तीसगढ़ शोकमग्न था, बस्तर में स्व. मुकेश चंद्रकार को अंतिम विदाई देने सभी लोगों ने स्वस्फूर्त अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी बंद कर रखे थे, वहीं उसी बस्तर में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज खुद को लड्डुओं से तुलवा रहे थे, आतिशबाजी करवा रहे थे, ढोल-नगाड़े बजवा रहे थे, खुद पर फूलों की बारिश करवा रहे थे, नारेबाजी हो रही थी। कांग्रेस में मानो कांग्रेस नेता द्वारा कांग्रेस द्वारा बहिष्कृत पत्रकार स्व. मुकेश चंद्रकार की हत्या के बाद जश्न का माहौल नजर आ रहा था। कांग्रेसी नेता अंतिम संस्कार में तो शामिल नहीं हुए, लेकिन यह जश्न मनाते भी उन्हें शर्म नहीं आई।