हाईकोर्ट से निगम को मिली बड़ी राहत: प्रिया गोयल की सक्रियता लाखों की राशि की हुई बचत

धमतरी (प्रखर) नगर निगम को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुंजवानी परिवार द्वारा निगम पर लगाया गया आरोप कि उनकी निजी जमीन पर बिना अनुमति के निगम ने सड़क बना दी थी। अब कोर्ट में झूठा साबित हुआ है। मुंजवानी परिवार ने इस आधार पर मुआवजे की मांग करते हुए अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें निगम को लाखों रुपए देने की संभावना बन गई थी। इस पर उपायुक्त पी सी सार्वा ने आयुक्त को मामले से अवगत कराया और सम्पूर्ण जानकारी दी कि निगम ने वहाँ कोई भी सड़क नहीं बनाया है, इस पर आयुक्त प्रिया ने इस मामले को तुरंत संज्ञान में लिया और माननीय उच्च न्यायालय में अपील दायर करवाया। अपील दायर करते है जल्द ही इस पर फैसला आ गया और फैसला निगम के हित में मिला। अन्यथा लाखो को नुक़सान निगम को उठाना पड़ता। निगम की सच्चाई और आयुक्त प्रिया गोयल की सजगता ने यह सुनिश्चित किया कि झूठ के बलबूते कोई मुआवजा नहीं मिलता। यह मामला सिन्हा समाज भवन के समीप कांटा तालाब के पास की भूमि से जुड़ा है, जहां मुंजवानी परिवार ने यह दावा किया कि उनकी जमीन में निगम ने सड़क बना दी है। जबकि निगम ने कोई सड़क का निर्माण किया ही नहीं। प्रारंभिक तौर पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए निगम को मुआवजे देने का आदेश दिया था, लेकिन जब यह मामला धमतरी नगर निगम आयुक्त प्रिया गोयल के संज्ञान में आया, तो उन्होंने इस पर गंभीरता से विचार किया।
निगम ने क्षेत्र की जांच कर जरूरी साक्ष्य अदालत में प्रस्तुत किया कि वहां सड़क निर्माण कार्य नगर निगम द्वारा नहीं किया गया है। जांच में सामने आया कि कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने मुरूम डालकर वहां अस्थायी रूप से रास्ता बना दिया था। इस ठोस प्रमाण के साथ निगम ने हाईकोर्ट में अपील की, जहां न्यायालय ने भी माना कि निगम की कोई संलिप्तता नहीं है और इस आधार पर मुंजवानी की याचिका को खारिज कर निगम के पक्ष में फैसला सुना दिया।
इस पूरे मामले में निगम आयुक्त प्रिया गोयल की भूमिका सराहनीय रही। उन्होंने न केवल तत्परता दिखाई, बल्कि कानूनी प्रक्रिया में भी निगम की ओर से सशक्त पैरवी सुनिश्चित करवाई। उनकी नेतृत्व क्षमता, पारदर्शिता और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता ने निगम को आर्थिक नुकसान से बचा लिया।
यह निर्णय न केवल निगम के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि झूठे दावे अब अदालत में नहीं टिक सकते। आयुक्त प्रिया गोयल की इस सक्रियता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब प्रशासन सजग हो, तो न्याय अवश्य मिलता है। कोर्ट में लंबी लड़ाई के बाद निगम को जीत मिली है।