छत्तीसगढ़

शिक्षक और शिक्षा की गुणवत्ता पर बृजमोहन अग्रवाल ने जताई चिंता, ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत डीआईईटी की वकालत

संसद की स्थायी समिति की बैठक में शिक्षक शिक्षा पर रखे महत्वपूर्ण सुझाव

रायपुर। सांसद बृजमोहन अग्रवाल सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित संसद की शिक्षा, महिला, बाल, युवा और खेल संबंधी स्थायी समिति की बैठक में सम्मिलित हुए। इस बैठक में भारत की शिक्षक शिक्षा प्रणाली से संबंधित कई महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। मुख्य रूप से बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजुकेशन (बी.एल.एड) कार्यक्रम को बंद करने के निर्णय, एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (आईटीईपी) की शुरुआत, उसकी वर्तमान कार्यान्वयन स्थिति, भविष्य की योजनाएं, पाठ्यक्रम की संरचना और आईटीईपी पढ़ाने के लिए आवश्यक योग्यताओं पर विचार-विमर्श किया गया।

इसके साथ ही राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की नीतियों, शिक्षक प्रशिक्षण, आवश्यक योग्यताओं तथा डीएलएड (प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा) और जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थानों (डीआईईटी) के भविष्य पर भी चर्चा हुई। बैठक में शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव, एनसीटीई के अध्यक्ष तथा सिविल सोसायटी संगठनों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे और उन्होंने अपनी-अपनी राय और सुझाव समिति के समक्ष रखे।

इस अवसर पर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि “शिक्षक शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता, गुणवत्ता और व्यवहारिकता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। भविष्य के राष्ट्रनिर्माताओं को तैयार करने वाले शिक्षकों की तैयारी भी आधुनिक, समावेशी और मूल्यनिष्ठ होनी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि डीआईईटी जैसे संस्थानों को सशक्त बनाने हेतु विशेष नीति बनाई जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षक तैयार किए जा सकें।

Author Desk

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