छत्तीसगढ़

जल जीवन मिशन ने बदली कमार बसाहट कल्लेमेटा की तस्वीर

अब पानी लाने दूर-दूर नहीं जाना पड़ता, घर-घर पहुंच रहा पानी


धमतरी (प्रखर) धमतरी जिले के वनांचल क्षेत्र में बसे विशेष पिछड़ी जनजाति के कमार परिवारों को प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत अब पीने और निस्तारी के लिए भरपूर पानी मिलने लगा है। जिले के कमार बसाहट कल्लेमेटा में रहने वाले लोगों को पीने की पानी की व्यवस्था के लिए अपने घरों से दूर जंगलां, तालाबों या पोखरों तक जाना पड़ता था। पानी के लिए बहुत दूर तक जाने में लगने वाले शारीरिक श्रम, गर्मी-बरसात-ठंड के मौसम में होने वाली असुविधाओं के साथ-साथ पोखरों-तालाबों-नालों के अशुद्ध पानी के कारण होने वाली बीमारियों से भी लोगों को जुझना पड़ता था।


             तकनीकी टीम ने सर्वेक्षण कर गांव के पास एक भूजल स्त्रोत पाया। इस अभियान के तहत कल्लेमेटा में पीने का पानी घर-घर पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के तहत ओवरहेड पानी की टंकी का निर्माण किया गया और पूरे गांव में पाईप लाईनें बिछाईं गईं। अब प्रत्येक घर में एक नल कनेक्शन है, जिसमें स्वच्छ पेयजल उनके दरवाजे तक पहुंच रहा है। इससे जलजनित बीमारियों की घटनाओं में कमी के कारण ग्रामीणों विशेषकर बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ। कल्लेमेटा के ग्रामीणों की पानी लाने के लिए दूर जंगलों में जाने की मजबूरी अब खत्म हो गई है। इससे उनका शरीरिक श्रम तो बचा ही है, इसके साथ ही आने-जाने में लगने वाले समय को वे अब वनोपज संग्रहण, घर-गृहस्थी संभालने, बच्चों की देखरेख आदि में लगा रहे हैं। कमारों के छोटे बच्चे भी बहुत खुश हैं। अब उन्हें पानी के लिए अपने स्कूलों की कक्षाओं को छोड़ना नहीं पड़ता है। गांव के युवा भी फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करके पानी की गुणवत्ता की निगरानी में शामिल हैं, जिससे स्वामित्व और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा मिल रहा है।


               कल्लेमेटा में परियोजना का शुभारंभ ना केवल सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल तक पहुंच प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था, बल्कि सामुदायिक भागीदारी और स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भी किया गया था। इसकी शुरूआत स्थानीय समुदाय को संगठित करने से हुई। ग्रामसभा की बैठकें आयोजित की गईं, जहां ग्रामीणों, विशेषकर महिलाओं को सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। ग्रामीणों ने कमार जनजाति के प्रतिनिधियों के साथ एक ग्राम जल और स्वच्छता समिति का गठन किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थानीय आवश्यकताअें और पारंपरिक ज्ञान का पूरा सम्मान किया जाए। समिति ने काम की निगरानी, जल संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने कार्यभार संभाला।

Author Desk

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button