छत्तीसगढ़

धमतरी की एक और बेटी चल पड़ी संयम की राह पर

कु. गुन कवाड़ लेंगी 9 अगस्त को राजस्थान में दीक्षा

धमतरी(प्रखर) धर्म की नगरी धमतरी की एक और बेटी कु. गुन कवाड़ संयम की राह पर चल पड़ी हैं। उनका अनुज्ञा स्वीकृत हुआ है। वे 9 की अगस्त को राजस्थान में दीक्षा लेंगी। हात दीक्षा लेने के पहले ही उनका व्यवहार, खान-पान बहुत कुछ बदल चुका है। यूपीएससी का सपना लिए गुन ने पढ़ाई को बीच में छोड़कर इस राह को चुन लिया है।

धमतरी में कुछ दिनों पहले लीलमचंद सुराना दीक्षा लेकर रामलयन बन गए हैं। उनके साथ सेमरा (भखारा) की बेटी निकिता संकलेचा ने भी दीक्षा ली थी। जिनका नाम रामनीति श्रीजी हो गया। इन दोनों को 1008 रामलाल जी म.सा. एवंउपाध्याय प्रवल राजेश मुनी जी म.सा. ने दीक्षा दी थी। इन्हीं की महती कृपा से फिर से एक बार धमतरी की बेटी दीक्षा लेंगी। पढ़ाई को बीच में छोड़कर जीवन के ज्ञान को पाने और संयम की राह पर चलने के लिए अग्रसर होने वाली कु. गुन कवाड़ से ने बताया कि कैसे एक बिंदास रहने वाली लड़की के जीवन में परिवर्तन आया। 2022 में धर्म के प्रति लगाव बढ़ा, 2024 में निर्णय लिया 21 वर्ष की कु. गुन कवाड़ ने बताया कि मेनोनाइट इंग्लिश स्कूल से 12 वीं की परीक्षा पास कर यूपीएससी का सपना लेकर आर्ट विषय को चुनते हुए पीजी कालेज से बीए करना प्रारंभ किया। 2022 में पुरानी कृषि उपज मंडी में दीक्षा समारोह रखा गया था। जिसमें धमतरी की बेटी सिद्धी भी शामिल थी। इस शिविर में उनकी दादी शकुंतला उसे साथ में ले गई। यहां उसके मन में धर्म के प्रति लगाव बढ़ा। धीरे-धीरे धार्मिक प्रक्रियाओं को जानने लगी। पिछले वर्ष चातुर्मास मास के दौरान गुन संतों के दिव्य दर्शन के लिए पहुंची। जहां उनका मन और परिवर्तन हो गया। उसने ठान लिया कि अब उसे संयम की राह पर चलना है।

शांति की खोज

गुन ने बताया कि दीक्षा समारोह से आने के बाद उसके जीवन में परिवर्तन आने लगा। शांति की खोज में वह जुट गई। माया, मोह, धन सब मिथ्या लगने लगा। उन्होंने कहा कि बच्चों को धर्म से जोड़कर जरूर रखना चाहिए। संयम की राह को चुनने की सोचा। उसके ऊपर गुरुकृपा बरसती रही। इस बीच उन्होंने 3,8 और 16 दिन का उपवास भी किया। वह संतों के साथ धमतरी से नगरी, चारामा विहार कर चुकी हैं। इसी बीच वह जैन समाज के गुरूकुल लाभल बिकानेर में भी पहुंची। उसने बताया कि हर पालकों को अपने बच्चों को यहां 15 दिन अथवा एक महीने के लिए जरूर भेजना चाहिए। यहां जीवन को जीने का तरीका सिखाया जाता है।चाचा, मामा की मौत ने झकझोर दिया : गुन के चाचा मोहित कवाड़ 35 वर्ष निवासी काटाभाजी ओडिशा का अचानक 26 मार्च को निधन हो गया। एक माह भी नहीं बीता था कि 22 अप्रैल को उसके मामा रोशन कोटड़िया 45 वर्ष कोंडागांव की मौत हो गई। दोनों की मौत के बाद गुन को लगा कि जीवन का कोई भरोसा नहीं है। इसलिए वह जल्द से जल्द इस राह पर जाना चाहती थी।

बहुत कुछ त्याग दिया :

गुन ने बताया कि उसके जीवन में धीरे-धीरे बहुत सारे परिवर्तन आने लगे हैं। वह रात्रि भोजन, जमीकंद, चप्पल त्याग चुकी हैं। सोफा या बिस्तर में नहीं बैठती हैं। सिर्फ प्लास्टिक कुर्सी में ही बैठती हैं। खुले मुंह कभी नहीं रहती है। जमीन में ही सोती हैं।

2 जून को अनुज्ञा पत्र पेश, 16 जून को स्वीकृत :
गुन कवाड़ ने बताया कि वह धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने बिकानेर गई हुई थी। इसी दौरान 1008 आचार्य रामलाल जी म.सा. के श्री चरणों में अनुज्ञा पत्र प्रस्तुत किया। तब उस समय परिवार का कोई भी सदस्य वहां नहीं था। 16 जून की सुबह-सुबह सूचना मिली कि उनका अनुज्ञा पत्र स्वीकृत हो गया है। 9 अगस्त 2025 को देशनव राजस्थान में वे दीक्षा लेंगी।

परिवार हो गया भावुक
गुन के पिता ऋषि कवाड़, मां रिंकू कवाड़ इस सूचना से खुश तो हैं लेकिन भावुक भी हो गए हैं। बड़ी बेटी का विवाह करने के बाद कुछ दिनों पहले ही उसे विदा किया है। छोटी बेटी का भी सपना था लेकिन उन्होंने संयम की राह को चुना है। 9 अगस्त को उन्हें विदाई देना है। गुरू को सौंप दिया जाएगा। दोनों ने बताया कि बेटी के फैसले से हम खुश हैं।

Author Desk

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