लोकमाता अहिल्या बाई का शासनकाल इतिहास के पन्नों में छिपा प्रेरणादायी अध्याय है – दीपक म्हस्के
महिला सशक्तिकरण की पहली मिसाल थी अहिल्या बाई – प्रकाश बैस
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनेक योजनाएं देवी होल्कर से प्रेरित हैं – चुन्नीलाल साहू
लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर ने धार्मिक धरोहरों के जरिए राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोया – शशि पवार


धमतरी (प्रखर) भारतीय जनता पार्टी द्वारा धमतरी में शनिवार को अहिल्या बाई होल्कर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को लेकर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में अतिथि के रूप में पहुंचे छग मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष दीपक म्हस्के ने कहा कि पुण्य श्लोक लोकमाता रानी अहिल्या बाई होल्कर का शासनकाल इतिहास के पन्नों में छिपा एक ऐसा प्रेरणादायी अध्याय है जिसका प्रत्येक खंड देश को महान बनाने की शिक्षा देता है। एक पत्नी के रूप में, एक राज परिवार की बहु के रूप में तथा परिस्थितियों के चलते जब उन्हें शासन की बागडोर सौंपी गई तो एक कुशल शासिका के रूप में उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता तथा राष्ट्र और धर्म के प्रति अगाध प्रेम को अपनी नीतियों एवं कार्यशैली से प्रमाणित किया। धमतरी भाजपा जिलाध्यक्ष प्रकाश बैस ने कहा कि भारत देश में महिला सशक्तिकरण का सबसे पहला उदाहरण यदि कोई है तो वो रानी अहिल्या बाई होल्कर है। उन्होंने लंबे समय तक इस देश में शासन किया। अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत उन्होंने की। उन्होंने अपने कार्यकाल में पहली बार डाक सेवा की शुरुआत की। भगवान शंकर के प्रति अगाध आस्था होने के कारण उनको शिवकामिनी की भी उपाधि दी गई। भारत के इतिहास में राजा युधिष्ठिर, एवं नल के बाद रानी अहिल्या बाई ही थीं जिन्हें पुण्यश्लोक की उपाधि दी गई। पूर्व सांसद चुन्नीलाल साहू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अनेक योजनाएं अहिल्या बाई होल्कर से प्रेरित हैं। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर में रानी अहिल्या बाई होल्कर की प्रतिमा का अनावरण कर धर्म के प्रति उनके योगदान के लिए उनका पुण्य स्मरण किया था। उनके रानी अहिल्या बाई होल्कर अहिल्या बाई होल्कर 300 वीं जयंती पखवाड़ा कार्यक्रमों के जिला संयोजक ठाकुर शशि पवार ने कहा कि रानी अहिल्या बाई ने अपने शासनकाल में चारों धाम, 12 ज्योतिर्लिंगों सहित अनेक शक्ति पीठों की स्थापना एवं जीर्णोद्धार का काम किया। मुगल काल में क्षतिग्रस्त सोमनाथ जैसे अनेक तीर्थ स्थलों का पुनर्निमाण कराया। रानी अहिल्या बाई ने धार्मिक धरोहरों के माध्यम से राष्ट्र को एक सूत्र में पिरोने का काम किया। उनके शासन की नीतियों आज के परिदृश्य में पूरी तरह प्रासंगिक है। प्रदर्शनी में शामिल होने वालों में प्रमुख रूप से कविंद्र जैन, श्यामा साहू, अविनाश दुबे, चेतन हिंदुजा, बीथीका विश्वास, निगम सभापति कौशल्या देवांगन, अजय ध्रुव, धनेश्वरी साहू ,मंडल अध्यक्ष पवन गजपाल, विनय जैन, रोहिताश मिश्रा, विजय साहू, उमेश साहू, सरला जैन, रेशमा शेख, प्रकाश गोलछा, ज्ञानीराम रामटेके, शरद चौबे, विजय ठाकुर, नवीन सांखला, अमित अग्रवाल, महेन्द्र खंडेलवाल, राजीव चंद्राकर, गौरव मगर, निलेश लूनिया,मेघराज ठाकुर, संतोष सोनकर, अज्जू देशलहरा, अखिलेश सोनकर, विभा चंद्राकर , भारती साहू, हिमानी साहू, आशा लोधी, अनीता अग्रवाल, राकेश चंदवानी, संजय देवांगन, हेमंत बंजारे, ईश्वर देवांगन, गजेंद्र नेताम, रितिका यादव, रूक्मणी सोनकर, चंद्रकला पटेल, सीमा चौबे, नीतू त्रिवेदी, रीटा बंजारे, पवित्रा दीवान, बसंत गजेंद्र, तरुण भांडे, विनोद पांडे, नंदू लोधी, भूमेश साहू, महावीर सिन्हा सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित हुए।